
*अग्रवाल अस्पताल की कंप्लेंट पहुंची इलेक्शन कमिशन नगर निगम कमिश्नर, मेयर को सील करो अग्रवाल अस्पताल—अभिषेक बख्शी
*अवैध रूप से चल रहे अस्पतालों की संख्या लगभग तीन दर्जन के आसपास*
जालंधर (अमरजीत सिंह लवला)
जालंधर में बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट के अवैध रूप से चल रहे अस्पतालों की संख्या लगभग तीन दर्जन के आसपास है। किस तरह जेपी नगर स्थित अग्रवाल अस्पताल नियमों की धज्जियां उड़ा कर चल रहा है और नगर निगम के बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर मेयर तक गूंगे बहरे की भूमिका में नजर आ रहे हैं। जिसको लेकर जालंधर के यूथ लीडर अभिषेक बख्शी ने नकेल कसने की ठान ली है। उन्होंने बताया कि किसी भी हाल में जालंधर में करप्शन को फैलने नहीं दिया जाएगा।
यूथ लीडर अभिषेक बख्शी ने बताया किस तरह से शहर का यह हॉस्पिटल मेयर और निगम अधिकारियों की मेहरबानियों से अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है। हम बात कर रहे हैं अग्रवाल हास्पिटल की
जेपी नगर स्थित यह अस्पताल शहर के नामी अस्पतालों में से एक है। रोजाना यहां सैकड़ों मरीज अपना इलाज कराने आते हैं। यहां के काबिल डॉक्टर उनसे इलाज के एवज में मोटी फीस वसूलते हैं। साथ ही दवा, जांच आदि के लिए भी मोटी राशि इस अस्पताल को आय के रूप में मिलती है। हैरान करने वाली बात यह है कि यह अस्पताल भी रेजिडेंशियल रोड पर अवैध बिल्डिंग में बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट के संचालित किया गया है।
इसके लिए अस्पताल का कोई नक्शा पास नहीं कराया गया है, दिलचस्प बात तो यह है कि यह अस्पताल जिस इमारत में चल रहा है उस इमारत में बिल्डिंग बायलॉज के हिसाब से कभी भी अस्पताल संचालन की अनुमति नहीं दी जा सकती। यही वजह है कि कॉमर्शियल बिल्डिंग में अवैध रूप से चल रहे इस अस्पताल को नगर निगम की ओर से कोई कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया।
अब सवाल यह उठता है कि अगर इस इमारत में अस्पताल संचालित ही नहीं किया जा सकता था तो फिर इतने वर्षों से इसमें *अस्पताल कैसे चलाया जा रहा है?* अस्पताल चला रहे थे तो फिर एक के बाद एक अवैध रूप से अस्पताल की ऊपरी मंजिलें कैसे बना दी गईं? *नगर निगम इस ओर आंखें क्यों मूंदा रहा?* मुद्दा अकाली भाजपा गठबंधन सरकार के समय का है तो फिर कांग्रेस सरकार आने के बाद भी इस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? पूर्व मेयर सुनील ज्योति को सदन में हंगामा कर और अखबारों में बयानबाजी कर भ्रष्टाचारी करार देने वाले तत्कालीन नेता विपक्ष और वर्तमान मेयर जगदीश राज राजा मेयर बनने के बाद भी इस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? वो कौन सी मजबूरियां हैं जिन्होंने मेयर राजा के हाथ बांधे हुए हैं? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब जनता मेयर राजा और कांग्रेस पार्टी से चाहती है। सूत्र बताते हैं कि नगर निगम के बिल्डिंग इंस्पेक्टर, एटीपी से लेकर मेयर तक के हाथ लक्ष्मी के आगे मजबूर हैं। सब *पैसे का खेल* है. बिल्डिंग इंस्पेक्टर ने नोटिस देकर खानापूर्ति कर दी. निगम में सिर्फ सत्ता बदलकर कांग्रेस के हाथ में आई है कार्यशैली नहीं बदली।
न भ्रष्टाचार कम हुआ और न ही विकास का पहिया आगे बढ़ा, दस साल से सत्ता से बाहर रहे कांग्रेसी सत्ता में आते ही पहले अपनी जेबें भरने लगे।
निगम का खजाना खाली रहे या न रहे इन्हें पहले अपना खजाना भरना है। शहर का विकास हो न हो इनका विकास होना चाहिए। निगम अधिकारी सोने के अंडे देने वाली मुर्गी बन चुके हैं और मेयर उन मुर्गियों के अंडे बटोरने में लगे हैं। इस काम में माहिर *नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच का छोटा भीम सबसे ज्यादा अंडे देने वाली मुर्गी बना* हुआ है। यही वजह है कि मेयर सुनील ज्योति के समय में एक कोने में रद्दी की टोकरी की तरह रखा गया ये छोटा भीम आज बिल्डिंग ब्रांच का सर्वे सर्वा बन चुका है, बहरहाल, अग्रवाल हॉस्पिटल जैसे संस्थान फिलहाल इनके अरमान पूरे कर रहे हैं। जो इनके अरमानों को पूरा नहीं करता उन्हें छोटा भीम अपनी गदा से ध्वस्त कर देता है।



