
पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन–अंगद दत्ता
नामदेव चौक के पास कोविड नियमों का पालन करते हुए किया विरोध प्रदर्शन
जालंधर (ग्लोबल आजतक,अमरजीत सिंह लवला, सुरेश,)
भारतीय युवा कांग्रेस (आईवाईसी) के कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ गुरुवार को नामदेव चौक के पास कोविड नियमों का पालन करते हुए विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से इसे जल्द से जल्द कम करने की मांग की।
युवा कांग्रेस अध्यक्ष अंगद दत्ता ने कहा जहां एक तरफ कोविड महामारी का संकट दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। और मध्यम वर्ग और गरीब पहले से ही घर खर्च उठाते हुए संघर्ष के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं, वहीं पेट्रोल, डीजल, और एलपीजी सिलेंडर, की कीमतों में बढ़ोतरी स्पष्ट रूप से आम लोगों के हित के प्रति केंद्र सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाती है। पेट्रोल, और डीजल, की कीमत में बढ़ोतरी के कारण ढुलाई लागत बढ़ जाती है। जिससे हर वस्तु की कीमत बढ़ना स्वाभाविक है, यह नागरिकों की जेब पर और दबाव डालेगा।
दत्ता ने कहा की निश्चित रूप से जहां कोविड की दूसरी लहर को देखते हुए लगाए गए लॉकडाउन ने आम आदमी की आर्थिक स्थिति पर दबाव डाला है, वहीं 4 मई से विधानसभा चुनाव के बाद ईंधन की कीमतों में दस गुना तक बढ़ोतरी हुई है। उसने घरेलू आपूर्ति और कोविड-19 के इलाज में लगने वाली दवाओं, टीकों, और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, की खरीद पर जीएसटी छूट की मांग भी की।
मंगलवार को पेट्रोल की कीमत में 27 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 29 पैसे की बढ़ोतरी की गई, जिससे देश भर में कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं और मुंबई में पेट्रोल की कीमत 99 रुपये प्रति लीटर को पार कर गई।
बुधवार को पंजाब में पेट्रोल और डीजल की कीमत क्रमश- 88.6 और 83.23 रु प्रति लीटर थी। हालांकि राजस्थान, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र, जैसे कई राज्यों में यह पहले ही 100 के निशान को पार कर चुकी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा पिछले साल मार्च में ईंधन पर उत्पाद शुल्क को अब तक के उच्चतम स्तर तक बढ़ने के बाद, पेट्रोल की कीमत में रिकॉर्ड 22.99 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 20.93 रुपये की वृद्धि हुई है।
अंगत दत्ता ने कहा, “पीएम मोदी को लोगों ने अच्छे दिन लाने के वादे पर चुना था, लेकिन इस तरह के रवैये के साथ यह केवल एक दिवास्वप्न लगता है, और कहा की सरकार को इस विपत्ति के समय पर अपने नागरिकों का हाथ थामना चाहिए, न की उन्हें आत्मबिरभर बनने के नाम पर संघर्ष करने के लिए यूहीं छोड़ देना चाहिए।



