इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो शामिल होंगे।
इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर आधिकारिक घोषणा की है। सुबियांटो राष्ट्रपति के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा पर 25 को भारत आएंगे।विदेश मंत्रालय (एमईए) ने गुरुवार को बताया कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो 26 जनवरी को भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि एक व्यापक रणनीतिक साझेदार के रूप में इंडोनेशिया भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत के उसके दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत और इंडोनेशिया के बीच सदियों पुराने मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की यह आगामी यात्रा दोनों देशों के नेतृत्व को द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा करने और आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी।
पिछले साल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि थे, जबकि 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी इस अवसर पर शामिल हुए थे। 2021 और 2022 में कोविड-19 महामारी के कारण गणतंत्र दिवस पर कोई मुख्य अतिथि नहीं था।
मुख्य अतिथि के चयन की प्रक्रिया क्या है?
यह प्रक्रिया आयोजन से करीब छह महीने पहले शुरू हो जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान विदेश मंत्रालय शामिल रहता है। किसी भी देश को निमंत्रण देने के लिए सबसे पहले यह है देखा जाता है कि भारत और संबंधित अन्य राष्ट्र के बीच मौजूदा संबंध कितने अच्छे हैं। इसका निर्णय देश के राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य और वाणिज्यिक हितों को भी केंद्र में रख कर लिया जाता है। पहले विदेश मंत्रालय संभावित उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करता है और फिर इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेजा जाता है। इसके बाद संबंधित मुख्य अतिथि की उपलब्धता देखी जाती है। अगर उनकी उपलब्ध हैं तो भारत आमंत्रित देश के साथ आधिकारिक संचार करता है।
मुख्य अतिथियों को बुलाने की शुरुआत कब हुई?
26 जनवरी 1950 को भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह से ही इसमें मुख्य अतिथियों को आमंत्रित करने की शुरुआत हुई थी। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस परेड के पहले मुख्य अतिथि थे।
कौन से देश हमारे मुख्य अतिथि रहे हैं?
इतिहास की तरफ देखें तो 1950-1970 के दशक के दौरान भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन और पूर्वी ब्लॉक से जुड़े कई देशों को अतिथि बनाया। दो बार 1968 और 1974 में ऐसा हुआ जब भारत ने एक ही गणतंत्र दिवस पर दो देशों देशों के मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया गया। 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के कारण कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया था। इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस से केवल दो दिन पहले यानी 24 जनवरी 1966 को शपथ ली थी।
वहीं 2020 में ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो, 2019 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, और 2018 में सभी 10 आसियान देशों के नेता समारोह में शामिल हुए थे। 2021 और 2022 में भी भारत में कोरोना महामारी के कारण कोई मुख्य अतिथि नहीं था। 2023 में मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्दुल फताह मुख्य अतिथि थे। 2024 के गणतंत्र दिवस समारोह के लिए भारत ने फ्रांस को अतिथि देश बनाया। यहां के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 75वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि रहे। परेड में फ्रांस की 95 सदस्यीय मार्चिंग टीम और 33 सदस्यीय बैंड दल ने भी शिरकत
गौरतलब है कि भारत ने सबसे ज्यादा 36 एशिया एशिआई देशों को समारोह में अतिथि बनाया है। इसके बाद यूरोप के 24 देश और अफ्रीका के 12 देश गणतंत्र दिवस में हमारे मेहमान बने हैं। वहीं दक्षिण अमेरिका के पांच देश, उत्तरी अमेरिका के तीन और ओशिनिया क्षेत्र के एकलौते देश का भारत ने आतिथ्य किया है।
2015 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 26 जनवरी की परेड देखी थी। 2014 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे, जबकि 2013 में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक ने परेड में भाग लिया था। गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने वाले प्रमुख विश्व नेताओं में निकोलस सरकोजी, व्लादिमीर पुतिन, नेल्सन मंडेला, जॉन मेजर, मोहम्मद खातमी शामिल रहे हैं।
गणतंत्र दिवस में अतिथि देश क्यों जरूरी होता है?
गणतंत्र दिवस समारोह में कई आकर्षण के केंद्र होते हैं लेकिन कूटनीतिक दृष्टि से इसमें शामिल होने वाले प्रमुख अतिथि पर भी सबकी नजरें होती हैं। भारत के गणतांत्रिक देश बनने के साथ ही इस समारोह में मुख्य अतिथि को बुलाने की परंपरा रही है। भारत प्रति वर्ष नई दिल्ली में आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए सम्माननीय राजकीय अतिथि के रूप में किसी अन्य देश के राष्ट्राध्यक्ष या सरकार के प्रमुख को निमंत्रण देता है।
अतिथि देश का चयन रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक हितों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद ही किया जाता है। यूं कहें कि गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि का निमंत्रण भारत और आमंत्रित व्यक्ति के देश के बीच मैत्रीपूर्ण सबंधों की मिशाल माना जाता है।