Thursday, July 10, 2025
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योग से निरोग तो रहेंगे ही याददाश्त भी होगी दुरुस्त; एम्स ने किया शोध, 12 सप्ताह चला अध्ययन

इस शोध में एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मंझारी त्रिपाठी, एनाटॉमी विभाग की प्रोफेसर डा. रीमा दादा के अलावा  विशेषज्ञों में मीनाक्षी कौशिक, अंजलि यादव, आशीष दत्त उपाध्याय, अनु गुप्ता, प्रभाकर तिवारी शामिल रहे।

योग से याददाश्त भी मजबूत होती है और भूलने की बीमारी अगर है तो उससे भी निजात मिल सकती है। एम्स के विशेषज्ञों ने कई शोध के बाद इस बात को सच बताया है। उम्र बढ़ने के साथ बुजुर्गों में भूलने की समस्या कहें या अल्जाइमर रोग होने की आशंका बढ़ जाती है, जिसे योग की मदद से कम या रोका जा सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक मस्तिष्क विकार है जो धीरे-धीरे याददाश्त, सोचने की क्षमता और व्यवहार को प्रभावित करता है। यह मनोभ्रंश का सबसे आम कारण है। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं। ऐसी स्थिति होने पर बुजुर्ग भूलने लगते हैं। इसका असर न केवल बुजुर्ग की जिंदगी पर पड़ता है, बल्कि उनकी देखभाल करने वाले लोग भी प्रभावित होते हैं।
शोध में हुए शामिल
इस शोध में एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मंझारी त्रिपाठी, एनाटॉमी विभाग की प्रोफेसर डा. रीमा दादा के अलावा  विशेषज्ञों में मीनाक्षी कौशिक, अंजलि यादव, आशीष दत्त उपाध्याय, अनु गुप्ता, प्रभाकर तिवारी शामिल रहे।

रोग बढ़ा देता है समस्याएं

अल्जाइमर रोग (एडी) मरीज के सामने गंभीर चुनौतियां पेश करता है। रोगियों के लिए जीवन की गुणवत्ता (क्यूओएल) को काफी खराब करता है। साथ ही देखभाल करने वालों पर बोझ बढ़ाता है। इस अध्ययन के माध्यम से हल्के से मध्यम अल्जाइमर रोग वाले व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना व देखभाल करने वालों का बोझ (सीबी) कम करना है।

12 सप्ताह चला अध्ययन  
एम्स के विशेषज्ञों ने 30 मरीजों (18 पुरुष, 12 महिलाएं) पर अध्ययन किया। इसके तहत भूलने की बीमारी से ग्रसित लोगों को 12 सप्ताह तक आसन, श्वास व्यायाम  और ध्यान करवाया गया। इन सभी की आयु 60 वर्ष या उससे अधिक थी। इन सभी को वृद्धाश्रम से भर्ती किया गया। 12 हफ्ते बाद सभी मरीजों की भाषा, स्मृति, ध्यान, दृश्य-स्थानिक क्षमता, विलंबित स्मरण, अमूर्तता और अभिविन्यास में सुधार दिखा।

योग से आया सुधार
योग की मदद से मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ। शोध में जीडीएस स्कोर 8.36 ± 2.79 से घटकर 5.13 ± 3.07 हो गया, जबकि एमओसीए कुल स्कोर 18.23 ± 4.90 से बढ़कर 21.10 ± 5.09 हो गया। डोमेन-विशिष्ट एमओसीए स्कोर में भी वृद्धि देखी गई। इसमें पाया गया कि मरीजों के भाषा, ध्यान और विलंबित स्मरण में काफी सुधार हुआ। साथ मरीजों का ध्यान रखने वालों की समस्याएं भी काफी कम हो गई।

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