जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ता तापमान पक्षियों के लिए खतरा बन गया है। जीवित रहने की क्षमता 63% घट गई है। दुनियाभर में औसत तापमान में एक डिग्री बदलाव के कारण पशु-पक्षियों के अलावा इंसानों के लिए भी परेशानियां बढ़ रही हैं।
बढ़ता तापमान पक्षियों की जिंदगी के लिए बड़ा खतरा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पक्षियों के जीवित रहने की क्षमता 63 फीसदी तक कम हो गई है। शोधकर्ताओं की टीम ने बेहद दूरदराज के जंगली इलाकों में रहने वाले पक्षियों पर नजर रखी और अपने निष्कर्षों की तुलना जलवायु के आंकड़ों से की।
शोधकर्ताओं का कहना है कि जैसे-जैसे क्षेत्र में तापमान बढ़ता गया विभिन्न पौधों और जानवरों में बदलाव आए। इसकी वजह से पक्षियों के लिए कम अनुकूल वातावरण निर्मित हो गया। नए शुष्क मौसमों ने प्रभावित क्षेत्रों में 29 में से 24 पक्षी प्रजातियों की जीवित रहने की क्षमता को कम कर दिया है। दुनियाभर में औसत तापमान में मात्र एक डिग्री सेल्सियस के बदलाव से इलाकों में पक्षियों की औसत जीवित रहने की क्षमता लगभग 63 फीसदी कम हो गई। यह अध्ययन नेशनल इंस्टिट्यूट अमेजोनिया, मिशिगन टेक्नोलॉजिक यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ ओरेगन के वैज्ञानिकों ने किया है। इसके नतीजे साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।
पक्षी अपने पर्यावरण में होने वाले बदलावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं क्योंकि वे घोंसले बनाते हैं, अंडे देते हैं और अपने बच्चों के लिए भोजन की तलाश करते हैं। तापमान में मामूली बदलाव से भी पक्षियों के लिए समय संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। उदाहरण के लिए वे अपने बच्चों के लिए जो भोजन चाहते हैं यदि वह उनके अंडे सेने से पहले आ चुका है तो उन्हें अंडे सेने के लिए भारी संघर्ष करना पड़ता है। इसी प्रकार जब किसी तरह बच्चे अंडे से बाहर आ जाते हैं और उस दौरान का उनका भोजन चक्र चला जाता है तो घोंसले में रहने वाले अधिकतर बच्चे भूख से मर जाते हैं।
उड़ने की क्षमता भी होती है प्रभावित
कई दशकों से ब्राजील के जंगलों की जैविक गतिशीलता परियोजना पर काम कर रहे शोधकर्ताओं ने एकत्रित की गई पक्षियों की आबादी के आंकड़ों का पता लगाया और उसी समयावधि में उस क्षेत्र के लिए एकत्रित जलवायु आंकड़ों के साथ उन आंकड़ों की तुलना की। इसमें पाया गया कि पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी के कारण भोजन की कमी और चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि से पक्षियों के जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है। गर्म तापमान में ज्यादा समय तक रहने से उनके उड़ने की क्षमता भी प्रभावित होती है।