भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड (यूका) परिसर से रसायनिक कचरा हटाकर धार जिले के पीथमपुर भेजने और वहां विरोध के चलते बनी स्थिति के बीच सोमवार को हाईकोर्ट जबलपुर में इस मामले की सुनवाई होगी। इसमें सरकार बताएगी कि न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए कचरा भेजा जा चुका है। स्थानीय स्तर पर इसको लेकर कुछ भ्रांतियों के कारण विरोध प्रदर्शन हुए।
सरकार ने तय किया है कि आमजन को विश्वास में लेकर ही कचरा जलाया जाएगा। सभी तथ्यों को न्यायालय के समक्ष रखकर न्यायालय से मार्गदर्शन लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार हाईकोर्ट में सरकार की ओर से एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। इसमें बताया जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुरूप रसायनिक कचरे के निष्पादन के लिए भोपाल से पीथमपुर सुरक्षा व्यवस्था के बीच भेज दिया गया है।
लोगों के बीच फैली भ्रांतियों को किया जा रहा दूर
इसको लेकर कुछ भ्रांतियों की बात आई, जिसके चलते पीथमपुर में प्रदर्शन हुए। उन आशंकाओं को दूर करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। जब त्वचा रोग, पानी की गुणवत्ता और फसल खराब होने की जानकारी आई तो केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड और एम्स का दल भेजकर 12 गांवों में जांच कराई गई। यहां कहीं भी मापदंड से अधिक मात्रा में कोई चीज नहीं पाई गई।
वैसे भी 2015 में यूनियन कार्बाइड का 10 टन कचरा का पीथमपुर में ट्रायल रन किया जा चुका है। इसमें भी यह बात सामने आई थी कि कचरे के निपटान से वातावरण कोई नुकसान नहीं हुआ है। इसके बाद भी स्थानीय स्तर पर कचरा जलाने को लेकर जो भ्रांतियां उन्हें पहले दूर किया जाएगा। इसको लेकर सभी स्तर पर प्रयास भी प्रारंभ हो गए हैं।
दिसंबर में दिया था एक माह का समय
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने दिसंबर में यूनियन कार्बाइड परिसर का जहरीला कचरा एक माह में हटाने के निर्देश दिए थे।
साथ ही यह चेतावनी भी दी थी कि यदि आदेश का पालन करने में विभाग विफल रहता है तो उसके प्रमुख सचिव के विरुद्ध अवमानना कार्रवाई की जाएगी। यह हिदायत भी दी थी कि राज्य के मुख्य सचिव व भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर स्पष्टीकरण देना होगा। इस आदेश के परिपालन में शासन ने कचरा को हटाने की कार्रवाई की है।