Saturday, January 18, 2025
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ओडिशा में कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे सिंगापुर के राष्ट्रपति, MEA ने बताया किन मुद्दों पर हुई चर्चा

भारत के दौरे पर आए सिंगापुर के राष्ट्रपति थरमन शनमुगरत्नम और उनका प्रतिनिधिमंडल फिलहाल ओडिशा के दौरे पर है। वहीं उनके इस दौरे को लेकर विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और बताया है कि भारत और सिंगापुर के बीच किन-किन मुद्दों पर चर्चा और समझौता हुआ है।

विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व), जयदीप मजूमदार ने इस पर जानकारी देते हुए कहा, ‘आज सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम और उनका प्रतिनिधिमंडल ओडिशा की यात्रा कर रहे हैं। यह एक महत्वपूर्ण यात्रा है, उन्होंने पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान भारत के पूर्वी हिस्से में आने की इच्छा व्यक्त की थी। सिंगापुर के राष्ट्रपति की ओडिशा यात्रा के दौरान कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। ये समझौते ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन शिपिंग, औद्योगिक पार्क, पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स और कौशल विकास के क्षेत्रों में होंगे, खासकर सेमीकंडक्टर और अन्य कौशल विकास क्षेत्रों में। यह ओडिशा सरकार के लिए एक प्रतीक्षित यात्रा है।

कोणार्क मंदिर का दौरा करेंगे थर्मन शनमुगरत्नम’
विदेश मंत्रालय ने बताया कि, ‘ओडिशा के मुख्यमंत्री सिंगापुर के राष्ट्रपति के सम्मान में एक भोज का आयोजन करेंगे। सिंगापुर के राष्ट्रपति कोणार्क के सूर्य मंदिर और एक कलाकार गांव का भी दौरा करेंगे। कुल मिलाकर, यह यात्रा भारत और सिंगापुर के बीच 60 साल के राजनयिक संबंधों को मनाने के लिए एक उपयुक्त अवसर है। इस मौके पर भारत के राष्ट्रपति और सिंगापुर के राष्ट्रपति ने मिलकर इस महत्वपूर्ण सालगिरह को मनाने के लिए एक लोगो जारी किया।”

‘दोनों देशों के बीच ऊर्जा कॉरिडोर हाइड्रोजन पर काम जारी’
जयदीप मजूमदार ने बताया कि, ‘भारत और सिंगापुर के बीच ऊर्जा कॉरिडोर हाइड्रोजन के संदर्भ में पहले से ही कुछ काम चल रहा है, जो भारत के पूर्वी हिस्से में है, आप इस पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होते भी देखेंगे, इस विशेष यात्रा के दौरान…डेटा कॉरिडोर भी गुजरात (गिफ्ट सिटी) और सिंगापुर के बीच एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिस पर भी चर्चा हो रही है’।

भारत दूसरों के लिए भी एमआरओ का केंद्र बन सकता है- एमईए
जयदीप मजूमदार ने कहा, ‘विमानों का रखरखाव, मरम्मत हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हो रहा है…इससे बहुत अधिक रोजगार पैदा हो सकते हैं और मूल्य संवर्धन किया जा सकता है। भारत दूसरों के लिए भी एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत और संचालन) का केंद्र बन सकता है। सिंगापुर अपने आप में एक बहुत मजबूत एमआरओ केंद्र है…वे भी हमारे साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं और हम भी उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं’। जयदीप मजूमदार ने आगे कहा, ‘हम आसियान देशों के साथ बहुत निकटता से काम करते हैं…चूंकि म्यांमार भारत का पड़ोसी और आसियान और बिम्सटेक सदस्य दोनों है…म्यांमार की वर्तमान स्थिति पर चर्चा हुई।
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