लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में बना देश का पहला वात्सल्य-मातृ अमृत कोष इसके लिए काम कर रहा है। वहीं, एम्स अपने सेंटर को अपग्रेड कर रहा है।
आने वाले दिनों में सफदरजंग अस्पताल भी संस्थान में वात्सल्य-मातृ अमृत कोष (मिल्क बैंक) बनाने की तैयारी कर रहा है। इसकी मदद से उन बच्चों को भी स्तनपान का लाभ मिल सकेगा जिनके बच्चे स्तनपान करने में सक्षम नहीं है। या उक्त बच्चे की मां का किन्हीं कारणों से दूध नहीं बन पा रहा। इस कोष में मां का दूध लेने के दौरान पूरी जांच होती है। इनमें देखा जाता है कि दूध के माध्यम से बच्चे को कोई इंफेक्शन तो नहीं मिल रहा।
सफदरजंग अस्पताल में बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रतन गुप्ता ने बताया कि देश में करीब 88 फीसदी डिलीवरी अस्पताल सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में होती है, लेकिन पहले एक घंटे में बच्चे को स्तनपान करवाने का आंकड़ा करीब 44 फीसदी है। सफदरजंग इसमें सुधार के लिए प्रयास कर रहा है। अस्पताल की कोशिश है कि अस्पताल में पैदा होने वाले हर बच्चे को पहले घंटे में उसकी मां का दूध मिले। यहां हर दिन 60-80 डिलीवरी होती हैं। उनका कहना कहना है कि देश में करीब 64 फीसदी बच्चों को पूरे छह माह स्तनपान मिलता है। इसमें भी सुधार की जरूरत है।
महिला की होती है स्क्रीनिंग
मशीन की मदद से प्री मैच्योर बेबी की माताओं से दूध लेने से पहले उनकी स्क्रीनिंग होती है। इस दौरान देखा जाता है कि उक्त महिला को पहले कोई बड़ी बीमारी तो नहीं रही। साथ ही पहले कभी खून तो नहीं चढ़ाया गया। कभी कोई इंफेक्शन तो नहीं हुआ। शरीर पर कोई टैटू तो नहीं बनाया गया है। इसके अलावा कोई दूसरी परेशानी तो नहीं रही।