Friday, April 25, 2025
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कार्बन चक्र में असंतुलन से वैश्विक गर्मी में भारी इजाफा, मानवीय गतिविधियों ने बिगाड़ दिया संतुलन

एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि कार्बन चक्र की पर्माफ्रॉस्ट पिघलने और मीथेन उत्सर्जन जैसी जटिल प्रक्रियाएं तापमान वृद्धि को पूर्वानुमान से कहीं अधिक बढ़ा सकती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि उत्सर्जन में जल्द और निर्णायक कटौती नहीं की गई, तो पेरिस समझौते का लक्ष्य सिर्फ एक राजनीतिक आकांक्षा बनकर रह जाएगा।

पृथ्वी पर तापमान में बढ़ोतरी के पहले किए गए अनुमान वास्तविकता में कम पड़ सकते हैं, क्योंकि कार्बन चक्र की जटिल प्रक्रियाएं जैसे कि मीथेन उत्सर्जन और पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना, जलवायु परिवर्तन को और ज्यादा तेज कर सकती हैं। यानी कार्बन चक्र में असंतुलन की वजह से वैश्विक गर्मी में भारी इजाफा हो सकता है। यह जानकारी पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च की ओर से किए गए एक अध्ययन में सामने आई है।

पृथ्वी पर कई प्राकृतिक प्रणालियां मौजूद हैं जो जीवन के संतुलन को बनाए रखती हैं और उनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण प्रणाली है कार्बन चक्र। यानी यह प्रक्रिया उस मार्ग को दर्शाती है, जिससे कार्बन वातावरण, समुद्र, जमीन और जीवों के बीच घूमता है। इसमें वे स्रोत शामिल हैं जो वातावरण में कार्बन छोड़ते हैं और वे स्थान (सिंक) भी, जो वातावरण से कार्बन को खींचते हैं। दुर्भाग्य से औद्योगिक क्रांति के बाद मानवीय गतिविधियों ने इस संतुलन को बिगाड़ दिया है और कार्बन चक्र अब अपनी प्राकृतिक गति से तालमेल नहीं बैठा पा रहा है।

अगले 1,000 वर्षों तक के पृथ्वी के जलवायु मॉडल को परखा
शोधकर्ताओं ने अगले 1,000 वर्षों तक के पृथ्वी के जलवायु मॉडल को परखा और पाया कि इंसानी गतिविधियों से हुए छोटे-छोटे उत्सर्जन भी कार्बन चक्र की प्रतिक्रियाओं के तहत बड़ी गर्मी पैदा कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि भविष्य में जलवायु और भी अस्थिर हो सकती है, जिससे तापमान वृद्धि की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।

कठिन होते जा रहे हैं जलवायु परिवर्तन के अनुमान…
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जैसे-जैसे पृथ्वी प्रणाली लचीलापन खोती जा रही है, जलवायु परिवर्तन के अनुमान और भी कठिन होते जा रहे हैं। अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो तापमान अनियंत्रित रूप से बढ़ सकता है, जिससे पेरिस समझौते का लक्ष्य केवल एक राजनीतिक आकांक्षा बनकर रह जाएगा, न कि एक व्यवहारिक सीमा। शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में एक रहने योग्य ग्रह सुनिश्चित करने के लिए उत्सर्जन में तेज और निर्णायक कटौती की सख्त जरूरत है।

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