सरकार ने 2024 में 199 कृषि मौसम विज्ञान इकाइयों (डीएएमयू) को बंद कर दिया था। जिसके बाद कर्मचारियों ने बिना वेतन के किसान की मदद के लिए काम किया। एक साल के संघर्ष के बाद अदालत के आदेश पर उनका रुका हुआ वेतन अब जारी किया गया। इस दौरान उन्हें कई व्यक्तिगत और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा।
केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 में 199 जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयों (डीएएमयू) को बंद करने का आदेश दिया। इसके बावजूद लगभग 130 कर्मचारियों ने बगैर वेतन काम जारी रखा, क्योंकि किसान अब भी उन पर निर्भर थे। उन्होंने अदालत से स्टे ऑर्डर लिया और किसानों को मौसम और जलवायु संकट से निपटने में मदद करते रहे। आखिरकार 31 मार्च, 2025 को अदालत के आदेश के बाद उनका रुका हुआ वेतन जारी किया गया। यह उनके एक साल से अधिक समय के संघर्ष की जीत और उम्मीद के बाद मिली बड़ी राहत रही।
डीएएमयू के कई कर्मचारी कृषि मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान जैसे विषयों में उच्च डिग्रीधारी हैं। कुछ ने शोध पत्र लिखे हैं, कॉलेजों में पढ़ाया है या किताबें लिखी हैं। फिर भी वे जमीन पर किसानों की सेवा करना चाहते थे। अब जब वे 30 या 40 की उम्र पार कर चुके हैं, उन्हें लगता है कि वे दोबारा कॅरिअर शुरू नहीं कर सकते। एक डीएएमयू कर्मचारी का कहना था, मैंने ईमानदारी से सेवा की, लेकिन बदले में क्या मिला?
कोई बेटी की स्कूल फीस न भर सका, तो कोई बीमार मां के इलाज को तरसा
राजस्थान के एक डीएएमयू कर्मचारी ने बताया कि वे अपनी बेटी की स्कूल फीस नहीं भर सके और प्रिंसिपल से हाथ जोड़कर समय मांगा। उनका परिवार महंगाई के चलते सब्जियां खरीदना छोड़ चुका था और सिर्फ दाल-चावल पर गुजारा कर रहा था। उन्होंने यहां तक सोच लिया था कि कोई और छोटी नौकरी कर लें, ताकि कुछ आमदनी हो जाए। जल्द ही दूसरे बच्चे के पिता बनने वाले राजस्थान के एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि परिवार दूसरों की मदद से गुजर-बसर कर रहा है। हर महीने मकान मालिक से कहना पड़ता है कि अभी सैलरी नहीं आई है। काफी बेबसी महसूस होती है। उत्तर प्रदेश में एक डीएएमयू कर्मचारी की मां बीमार थीं, लेकिन महीनों से वेतन न मिलने की वजह से इलाज वक्त पर नहीं हो पाया। इसी तरह महाराष्ट्र में एक कर्मचारी ने बताया कि वे होम लोन का भुगतान नहीं कर पाए और बैंक से नोटिस मिलने लगे। बेटी की स्कूल फीस न भर पाने से उन्हें खासी निराशा हुई।