Tuesday, December 10, 2024
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कांस्य जीतने के साथ ही अमन ने अपने नाम दर्ज की खास उपलब्धि, इस मामले में सिंधू को पीछे छोड़ा

अमन ने शुक्रवार को कांस्य के लिए खेले गए मुकाबले में पुअर्तो रिको के डारियान टोई क्रूज को हराकर देश को पेरिस खेलों में छठा पदक दिलाया। भारत ने अब तक एक रजत और पांच कांस्य सहित कुल छह पदक जीते हैं।

भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पुरुष 57 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में कांस्य पदक जीतकर एक खास उपलब्धि अपने नाम दर्ज कर ली है। अमन ओलंपिक पदक जीतने वाले भारत के सबसे युवा खिलाड़ी बन गए हैं और इस मामले में उन्होंने दो बार की ओलंपिक पदक विजेता महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू को पीछे छोड़ दिया है। अमन ने शुक्रवार को कांस्य के लिए खेले गए मुकाबले में पुअर्तो रिको के डारियान टोई क्रूज को हराकर देश को पेरिस खेलों में छठा पदक दिलाया। भारत ने अब तक एक रजत और पांच कांस्य सहित कुल छह पदक जीते हैं और वह टोक्यो ओलंपिक में सात पदक के अपने पिछले प्रदर्शन से एक पदक पीछे है।

महज 21 साल की उम्र में जीता ओलंपिक पदक
अमन ने पिछले महीने ही 21 साल पूरे किए थे और वह इतनी कम उम्र में ओलंपिक पदक जीतने वाले खिलाड़ी बन गए। अमन से पहले यह रिकॉर्ड सिंधू के नाम था जिन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता था। सिंधू ने जब महिला एकल वर्ग में रजत जीता था तब उनकी उम्र 21 साल एक महीने 14 दिन थी, जबकि अमन 21 साल 24 दिन की उम्र में ही ओलंपिक पदक विजेता बन गए। इस सूची में एक अन्य बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल भी शामिल हैं जिन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक के दौरान 22 साल चार महीने 18 दिन की उम्र में कांस्य पदक अपने नाम किया था। वहीं, पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली मनु ने 22 साल पांच महीने 10 दिन की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की थी।

कुश्ती में ओलंपिक पदक आने का सिलसिला बरकरार
अमन पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारत के एकमात्र पुरुष पहलवान थे। हालांकि, उन्होंने निराश नहीं किया और ओलंपिक में पदक जीतने के सिलसिले को बरकरार रखा। भारत 2008 बीजिंग ओलंपिक के बाद से हर ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीत रहा है। 2008 में सुशील कुमार ने कांस्य, 2012 में सुशील ने रजत और योगेश्वर दत्त ने कांस्य, 2016 में साक्षी मलिक ने कांस्य, 2020 टोक्यो ओलंपिक में रवि दहिया ने रजत और बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीता था। अमन का यह पहला ओलंपिक था और उन्होंने अपने पहले ही ओलंपिक में कांस्य पदक जीत लिया। इस तरह पेरिस ओलंपिक में कुश्ती में भारत का खाता खोला। विनेश फोगाट के अयोग्य घोषित होने के बाद निराशा में डूबे भारत को उन्होंने खुशियां दी।

अंतिम पंघाल (53 किग्रा), अंशु मलिक (57 किग्रा) और निशा दहिया (68 किग्रा) से काफी उम्मीदें थी, लेकिन ये सभी महिला पहलवान अपने-अपने वर्ग में पदक दौर तक पहुंचने में विफल रहीं। दूसरी तरफ विनेश फोगाट (50 किग्रा) फाइनल में पहुंचने में सफल रही थीं, लेकिन स्वर्ण पदक मैच से पहले ही उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा निकला जिस कारण उन्हें अयोग्य घोषित करार दिया गया। इस तरह भारत के हाथ से स्वर्ण पदक जीतने का सुनहरा अवसर निकल गया था।
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