पेरिस ओलंपिक में 100 ग्राम अधिक वजन होने से पदक जीतने से वंचित रहीं फौलादी बिटिया विनेश फोगाट के शनिवार रात 12:30 बजे दादरी पहुंची। इस दौरान लोगों ने सिर आंखों पर बैठा लिया।
भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि यह ओलंपिक पदक एक गहरा घाव बन गया है। इसे भरने में समय लगेगा लेकिन मैं अपने देश के लोगों को धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं अभी कुछ नहीं कह सकती कि मैंने कुश्ती छोड़ दी है या जारी रखूंगी, हमारी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। मैं अभी इसका एक हिस्सा पार करके आई हूं। यह एक लंबी लड़ाई है, हम पिछले एक साल से इसे लड़ रहे हैं और यह जारी रहेगी।
पैतृक गांव पहुंचने पर विनेश फोगाट ने कहा कि लोगों से मिले प्यार और सम्मान के आगे हजारों गोल्ड भी फीके हैं। विनेश ने कहा कि प्रतियोगिता में पदक नहीं मिलने के बाद भी जो सम्मान देश की जनता की ओर से दिया जा रहा है, इससे वह स्वयं को खुशकिस्मत महसूस कर रही है। विनेश ने समर्थकों से मिले अपार स्नेह से अभिभूत होते हुए कहा कि उन्होंने गोल्ड नहीं दिया तो क्या हुआ, अपनों ने मुझे गोल्ड से ऊपर नवाजा है।