नैदानिक अनुसंधान के लिए सीडीईआर भवन के पास दो बेसमेंट सहित सात मंजिला भवन तैयार किया गया है। भवन में इंप्लांट और उपकरण को विकसित करने के लिए रिसर्च का काम होगा। साथ ही जानवर व मरीज पर उक्त उपकरण व इंप्लांट की उपयोगिता की जांच भी होगी।
दंत रोग के इलाज के लिए एम्स का दंत चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (सीडीईआर) स्वदेशी उपकरण और इंप्लांट विकसित करेगा। नैदानिक अनुसंधान के लिए सीडीईआर भवन के पास दो बेसमेंट सहित सात मंजिला भवन तैयार किया गया है। भवन में इंप्लांट और उपकरण को विकसित करने के लिए रिसर्च का काम होगा। साथ ही जानवर व मरीज पर उक्त उपकरण व इंप्लांट की उपयोगिता की जांच भी होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में दंत रोग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके इलाज में जरूरी उपकरण व इंप्लांट मौजूदा समय में 70 फीसदी से अधिक विदेश से आते हैं। यह महंगे होने के साथ भारतीय मूल की जरूरत के आधार पर विकसित नहीं होते। स्वदेशी उपकरण व इंप्लांट को विकसित करने के दौरान भारतीय मूल की जरूरत को ध्यान में रखा जाएगा।