सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश रिपोर्ट में एएसआई ने कहा कि शेख शहीबुद्दीन की कब्र पर एक शिलालेख कहता है कि इसका निर्माण वर्ष 1317 ईस्वी में हुआ था। पुनर्स्थापना और संरक्षण के लिए किए गए संरचनात्मक बदलावों ने इस स्थान की ऐतिहासिकता को प्रभावित किया है।
शीर्ष अदालत के समक्ष पेश रिपोर्ट में, एएसआई ने कहा कि शेख शहीबुद्दीन (आशिक अल्लाह) की कब्र पर एक शिलालेख कहता है कि इसका निर्माण वर्ष 1317 ईस्वी में हुआ था। पुनर्स्थापना और संरक्षण के लिए किए गए संरचनात्मक बदलावों ने इस स्थान की ऐतिहासिकता को प्रभावित किया है।
क्या है मामला
शीर्ष अदालत जमीर अहमद जुमलाना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली के महरौली पुरातत्व पार्क के अंदर सदियों पुरानी धार्मिक संरचनाओं के संरक्षण की मांग की गई थी, जिसमें 13वीं शताब्दी की आशिक अल्लाह दरगाह (1317 ईस्वी) और बाबा फरीद की चिल्लागाह शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने उनकी ऐतिहासिकता का आकलन किए बिना अतिक्रमण हटाने के नाम पर संरचनाओं को ध्वस्त करने की योजना बनाई है। जुमलाना ने 8 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।