Thursday, December 26, 2024
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चोट के दर्द को बर्दाश्त नहीं, पूरा इलाज कराएं; पेन किलर से नहीं चलेगा काम

सफदरजंग अस्पताल के स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर में इलाज करवाने आ रहे खिलाड़ियों के आंकड़े बताते हैं कि 80 फीसदी खिलाड़ी पेन किलर खाकर दर्द को दबाते हैं, जो आगे चलकर रोग को जटिल कर देता है।

खेल में लगी चोट के दर्द को बर्दाश्त नहीं, पूरा इलाज करवाना चाहिए। सफदरजंग अस्पताल के स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर में इलाज करवाने आ रहे खिलाड़ियों के आंकड़े बताते हैं कि 80 फीसदी खिलाड़ी पेन किलर खाकर दर्द को दबाते हैं, जो आगे चलकर रोग को जटिल कर देता है। इन खिलाड़ियों की बाद में सर्जरी व दूसरे इलाज तो हो जाते हैं, लेकिन शरीर का वह अंग पहले की तरह प्रदर्शन नहीं कर पाता।
विशेषज्ञों का कहना है कि अक्सर कम उम्र के बच्चे खेल में कॅरिअर बनाने के लिए आते हैं। इनकी मसल पूरी तरह से विकसित नहीं होती। ऐसे में शुरुआती दौर में ही इंजरी होने की आशंका ज्यादा रहती है। सफदरजंग अस्पताल के स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर में क्रिकेटर, कुश्ती, धावक, कब्बडी, लंबी व ऊंची कूद, बैडमिंटन सहित दूसरे खेलों के जिले से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी आते हैं। इनके रोटेटर कफ, कंधे, कोहनी, कलाई सहित शरीर के दूसरे अंगों में चोट होती हैं।
स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर के निदेशक प्रोफेसर डॉ. दविंदर सिंह ने कहा कि सेंटर में 15-20 फीसदी ही खिलाड़ी पहले इलाज करवाने आ जाते हैं। ऐसे मरीजों में लिगामेंट लगाकर व दूसरे माध्यम से इलाज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चोट लगने के बाद दर्द होने पर ही उन्हें उचित डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। लेकिन देखा गया है कि खिलाड़ी स्थानीय स्तर पर ही उपचार करवाते हैं।क्रिकेट खिलाड़ियों की अधिक परेशानी 

गेंदबाज : कंधे में चोट, कंधा निकलना, मसल्स कप रोटेटर फट जाना, लो बैक, स्टेप फ्रैक्चर,  घुटने में चोट।
बल्लेबाज : कलाई, कोहनी और कंधे में चोट की समस्याएं
फील्डर : उंगलियों के फ्रैक्चर व दूसरी चोट
बैडमिंटन : कंधे में चोट
कुश्ती : घुटना, कंधा में चोट
बॉक्सर : कंधा, कोहनी व दूसरी चोट
भाला फेंक : कोहनी
महिलाओं में होने की ज्यादा आशंका 
खेल के दौरान चोट लगना, दर्द होने की आशंका महिलाओं में ज्यादा रहती है। डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं में मसल मास कम होता है। इन्हें खेल का चयन करने से पहले विशेषज्ञों से संपर्क कर लेना चाहिए। शरीर की क्षमता के आधार पर ही खेल को चुनना चाहिए।
ओपीडी में 50% तक खिलाड़ी 
स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर में इलाज करवाने आ रहे मरीजों में करीब 50 फीसदी खिलाड़ी हैं। इनमें महिला व पुरुषों की संख्या औसतन 50-50 फीसदी ही रहती है।
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