संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दुष्कर्म और हत्या का दोषी पाया गया। अब सोमवार को सजा सुनाई जाएगी। इस बीच, रॉय की मां ने कहा कि उसका अपराध साबित हो चुका है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या मामले में अदालत ने मुख्य आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया। सियालदह सिविल और क्रिमिनल कोर्ट के फैसले के एक दिन बाद आरोपी की मां ने कहा कि अगर उनका बेटा दोषी है तो उसे वह सजा मिलनी चाहिए, जिसका वह हकदार है, भले ही इसके लिए उसे फांसी ही क्यों न देनी पड़े।
उन्होंने कहा कि वह अकेले में रो लेंगी, लेकिन उसकी सजा को नियति के रूप में स्वीकार करेगी।
18 जनवरी को सुनाया फैसला
बता दें कि फैसला शनिवार दोपहर के ढाई बजे कोर्टरूम 210 में सुनाया गया। आरोपी संजय रॉय ने अदालत में दावा किया कि उसे फंसाया गया है। न्यायाधीश ने कहा कि उसे सोमवार को अदालत में बोलने का मौका दिया जाएगा। अब अदालत सोमवार को सजा सुनाएगी। संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दुष्कर्म और हत्या का दोषी पाया गया।
तीन बेटियों की मां होने के नाते…
संजय को दोषी ठहराए जाने के बाद उसकी मां ने पहले पत्रकारों से बात करने से मना कर दिया। मगर रविवार सुबह उन्होंने कहा, ‘एक महिला और तीन बेटियों की मां होने के नाते, मैं उस महिला डॉक्टर की मां की पीड़ा और दर्द को महसूस कर सकती हूं, जो मेरी बेटी की तरह है।’
कानून की नजर में अपराध हुआ साबित
अपनी झुग्गी के दरवाजे पर खड़ी 70 वर्षीय महिला ने कहा, ‘अगर अदालत उसे फांसी पर लटकाने का फैसला करती है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि कानून की नजर में उसका अपराध साबित हो चुका है। मैं अकेले में रोऊंगी, लेकिन इसे भाग्य का खेल मानकर स्वीकार कर लूंगी, कुछ ऐसा जो नियति ने चाहा है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसी अदालती सुनवाई के दौरान वहां गई थीं या लॉकअप में रॉय से मिली थीं, उन्होंने कहा, ‘नहीं। मैं क्यों जाऊं? अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद, यदि आरोप झूठे पाए जाते तो मैं उससे मिलने की कोशिश करती।’
‘सजा को चुनौती देने की कोई योजना नहीं’: बहन
संजय की तीन बहनें हैं और उनमें से एक की सालों पहले मौत हो चुकी है। दोषी की मां के घर के पास ही ससुराल में रहने वाली बड़ी बहन ने शनिवार को कहा था कि परिवार की अदालत में आदेश को चुनौती देने की कोई योजना नहीं है। आरोपी की बहन ने अपना चेहरा दुपट्टा से छिपा रखा था। सियालदह कोर्टरूम में जहां उनके भाई को पेश किया गया वहां वह मौजूद नहीं थी।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘कृपया मुझे अकेला छोड़ दें। हम बिखर चुके हैं। अगर संजय ने कोई अपराध किया है तो उसे उचित सजा मिलनी चाहिए। हम इस फैसले को चुनौती देने की योजना नहीं बना रहे हैं। मैं अपने ससुराल में रहती हूं। 2007 में मेरी शादी के बाद से मेरा अपने परिवार से कोई संपर्क नहीं है, जबकि मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है।’ महिला ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया कि बचपन में उनका भाई सामान्य लड़के जैसा था।