कर्नाटक से एक हैरान कर देने वाली खबर आई है. एक व्यक्ति के सिर में यहां लगभग 18 वर्षों से एक गोली फंसा हुआ था. धातु को पिछले हफ्ते बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में हटा दिया गया था. चोट के कारण दो बच्चों के पिता 29 वर्षीय सालेह (बदला हुआ नाम) बहरा हो गए थे. गोली उनकी बायीं कनपटी की हड्डी के अंदर गहराई में फंसी थी, जिससे उन्हें लगातार सिरदर्द और लगातार कान बहने लगा.
क्या हुआ था?
सालेह ने एक वीडियो कॉल के दौरान TOI को बताया कि ‘मैं गंभीर रूप से घायल हो गया और बहुत खून बह गया. वह दोपहर की धूप थी और मुझे अस्पताल ले जाया गया. उन्होंने केवल घाव को साफ किया, लेकिन गोली निकालने की जहमत नहीं उठाई.’ चूंकि गोली कान को पार कर गई थी, कान का प्रवेश द्वार सिकुड़ गया, जिससे डिस्चार्ज हो गया. गोली आंशिक रूप से कान के मार्ग में लगी थी, जबकि इसका अंदरूनी सिरा हड्डी में धंस गया था, जिससे ऐसा घाव हो गया जो ठीक नहीं हो रहा था. मवाद जमा होने से बार-बार कान में संक्रमण हो सकता है, जिसके बाद सिरदर्द शुरू हो सकता है.
सालेह को कुछ दोस्तों के माध्यम से बेंगलुरु के एस्टर अस्पताल के बारे में पता चला और वह बहुत उम्मीद के साथ शहर में आए. लेकिन एस्टर के डॉक्टरों को सर्जरी कठिन लगी. एस्टर आरवी में ईएनटी और कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के प्रमुख सलाहकार डॉ. रोहित उदय प्रसाद ने कहा कि ‘गोली उसके कान के अंदर, बायीं ओर की टेम्पोरल हड्डी के अंदर गहराई में और महत्वपूर्ण संवहनी संरचनाओं के बहुत करीब लगी थी, जिससे सर्जरी चुनौतीपूर्ण हो गई थी. गोली निकाले जाने पर अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा था.’
उन्होंने कहा कि ‘हमने इसे सावधानी से किया और गोली को इसके आस-पास से निकालने और इसे तुरंत सक्रिय करने में कामयाब रहे. सर्जरी सफल रही और मरीज को कोई बड़ा रक्तस्राव नहीं हुआ.’ उन्होंने कहा कि सर्जिकल टीम किसी भी स्थिति के लिए तैयार थी. सर्जरी से उनका दर्द कम हो गया है और उनकी सुनने की क्षमता आंशिक रूप से बहाल हो गई है. कान का बहना भी बंद हो गया. सालेह सर्जरी के बाद यमन वापस चले गए और अब ठीक हैं. वह वर्तमान में अंग्रेजी और फ्रेंच में अपनी डिग्री हासिल कर रहे हैं. घर जाते समय हवाई अड्डे पर हिरासत से बचने के लिए सालेह ने बुलेट यहीं छोड़ दी.