जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने कहा कि हाईकोर्ट की कई पीठ नाबालिग से सहमति संबंध व विवाहितों के अन्य साथी के साथ सहमति संबंध के मामलों में प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा का आदेश दे चुकी हैं तो वहीं कई पीठ ऐसे ही मामलों को नैतिक व सामाजिक तौर पर गलत मान कर याचिका खारिज कर चुकी हैं।
अपने जीवनसाथी से तलाक के बिना अन्य के साथ सहमति संबंध में सुरक्षा को लेकर अलग-अलग बेंचों के अलग रुख के चलते अब इस मामले में खंडपीठ 8 जनवरी को सुनवाई करेगी।
जस्टिस अनिल खेत्रपाल के सामने फरीदाबाद के एक प्रेमी जोड़े ने सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इस मामले में युवक पहले से विवाहित था और उसका पत्नी से विवाद चल रहा था लेकिन तलाक नहीं हुआ था। युवक विवाद के दौरान एक अन्य महिला के साथ सहमति संबंध में रहने लगा। दोनों ने परिजनों से जान को खतरा बताकर सुरक्षा की मांग की।
जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने कहा कि हाईकोर्ट की कई पीठ नाबालिग से सहमति संबंध व विवाहितों के अन्य साथी के साथ सहमति संबंध के मामलों में प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा का आदेश दे चुकी हैं तो वहीं कई पीठ ऐसे ही मामलों को नैतिक व सामाजिक तौर पर गलत मान कर याचिका खारिज कर चुकी हैं। खुद जस्टिस खेत्रपाल ने जींद के एक जोड़े की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि अगर लिव-इन रिलेशनशिप को संरक्षण दिया जाता रहेगा तो पूरा सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ा जाएगा।
जस्टिस खेत्रपाल ने चीफ जस्टिस से ऐसे मामलों पर स्पष्ट फैसला लेने के लिए एक बड़ी पीठ के गठन करने का आग्रह किया। इसके बाद चीफ जस्टिस ने इस मामले की डिवीजन बेंच को सुनवाई के आदेश दिए हैं।