टीबी एक गंभीर बीमारी है जिसे ट्यूबरक्लोसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है अगर सही समय पर इसकी पहचान कर इसका इलाज न कराया जाए। हालांकि लोगों में इसे लेकर जागरूकता की कमी घातक साबित हो सकती है। इसी बीच अब हाल ही में इसे लेकर एक नई स्टडी सामने आई है।
टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस एक गंभीर बीमारी है, जिसका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा तक साबित हो सकती है। हालांकि, अभी लोगों में इसे लेकर जागरूकता की कमी देखने को मिलती है। यही वजह है कि सही समय पर इसकी पहचान न होने की वजह से लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है। इसी बीच अब इस गंभीर बीमारी को लेकर एक नया अध्ययन सामने आया है।
अब ऐसे होगी टीबी की जांच
हाल ही में शोधकर्ताओं ने टीबी के संक्रमण का पता लगाने के लिए नई जांच विकसित की है। इससे उन लोगों की भी पहचान हो सकती है, जिन्हें टीबी होने का खतरा सर्वाधिक है। इससे समय पर बीमारी का पता लगाया जा सकेगा और उपचार किया जा सकेगा। हालांकि परीक्षण के मौजूदा तरीकों में ऐसा नहीं हो पाता है। यह शोध नेशनल इंस्टीट्यूट फार हेल्थ एंड केयर रिसर्च (एनआइएचआर) लीसेस्टर बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर (बीआरसी) के शोधकर्ताओं ने किया और उम्मीद जताई कि लैंसेट माइक्रोब जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्षों से बीमारी फैलने से रोकने में मदद मिलेगी।
क्या है टीबी?
टीबी बैक्टीरिया से होने वाला रोग है। यह बीमारी फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है और बिना उपचार के यह जानलेवा हो सकती है। मुख्य शोधकर्ता प्रणबशीष हलदर ने बताया कि वर्तमान में टीबी की जांच रक्त परीक्षण अथवा त्वचा परीक्षण से की जाती है। हालांकि ये परीक्षण लोगों में टीबी के उच्च जोखिम और मामूली जोखिम के बीच अंतर नहीं कर सकते हैं। हालांकि, हमारे शोध का महत्वपूर्ण उद्देश्य बेहतर जांच विकसित करना था, जिससे टीबी का अधिक खतरा होने वाले लोगों की पहचान की जा सके और उन्हें बेहतर उपचार प्रदान किया जा सके।
इन लोगों पर किया गया शोध
नए अध्ययन में पीईटी-सीटी का प्रयोग यह देखने के लिए किय गया कि संक्रमण कैसे बढ़ता है और बीमारी का खतरा होने वाले लोगों की पहचान कैसे की जा सकती है। इस शोध में अस्पताल में टीबी का इलाज करा रहे लोगों के घरों में रहने वाले 20 वयस्कों ने भाग लिया और इनकी नए तरीके से जांच की गई।