सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का जिक्र करते हुए अमोल पालेकर की याचिका में कहा गया है कि ये आईटी नियमों के खिलाफ हैं, जिससे कलाकारों की स्वतंत्रता का हनन होता है।
दिग्गज फिल्म अभिनेता अमोल पालेकर देश में चल रहे समसामयिक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। उन्होंने हाल ही में, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। इस मामले में उनकी ओर से एक जनहित याचिका दायर की गई, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का जिक्र करते हुए अमोल पालेकर की याचिका में कहा गया है कि ये आईटी नियमों के खिलाफ हैं, जिससे कलाकारों की स्वतंत्रता का हनन होता है। याचिका में कहा गया है कि ये नियम सरकार को ‘सुपर सेंसर’ करने और किसी भी कंटेट पर रोक लगाने की पूरी ताकत देते हैं। नियम दर्शकों को अपनी इच्छा के अनुसार कंटेट को देखने से भी रोकते हैं। साथ ही ओटीटी प्लेटफॉर्म के कारोबार करने के अधिकार पर भी असर डालते हैं।
अमोल पालेकर की याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई अगस्त महीने में की जाएगी। बता दें कि कई लोगों द्वारा आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं दाखिल की गई है। उन सभी की सुनवाई भी अमोल पालेकर की याचिका के साथ ही की जाएगी। मालूम हो कि अदालत में अमोल पालेकर का पक्ष नित्या रामकृष्णन रख रही हैं।