पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने आज ज़ीरकपुर नगर कौंसिल के पूर्व कार्यकारी अधिकारी (ई.ओ.) गिरीश वर्मा को आय से अधिक जायदाद बनाने में मदद करने के दोष अधीन संजीव कुमार निवासी खरड़ को गिरफ़्तार किया है। इस मुकदमे में विजीलैंस ब्यूरो ने गिरीश वर्मा को अक्तूबर 2022 में गिरफ़्तार किया था।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि हाई कोर्ट से आगामी ज़मानत ख़ारिज होने के बाद संजीव कुमार को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली थी। विजीलैंस ब्यूरो ने पहले ही सी.जे.एम., मोहाली की अदालत में उसके खि़लाफ़ भगौड़ा ऐलान किए जाने की घोषना सम्बन्धी कार्यवाही शुरू कर दी थी।
उन्होंने आगे बताया कि संजीव कुमार को फ्लाइंग सक्वेड-1 मोहाली की टीम द्वारा गिरफ़्तार किया गया है और इस मामले में उसकी भूमिका संबंधी और पूछताछ की जायेगी। इसके अलावा, गिरीश वर्मा के छोटे बेटे विकास वर्मा, जो कि विदेश में रह रहा है, को भी कुछ स्थानीय बिल्डरों और डिवैल्परों द्वारा वित्तीय सहायता दी गई थी, जिस सम्बन्धी जांच जारी है।
उन्होंने बताया कि मुलजिम गिरीश वर्मा ज़ीरकपुर, खरड़, कुराली, डेराबस्सी आदि नगर कौंसिलों में बतौर ई.ओ. के रूप में तैनाती के दौरान स्थानीय बिल्डरों/डिवैल्परों को ग़ैर-कानूनी ढंग से लाभ पहुंचाता था और इसके बदले उसने असुरक्षित कर्जे के तौर पर उक्त बिल्डरों से अपनी पत्नी संगीता वर्मा और बेटे विकास वर्मा के नाम पर बैंक ऐंट्रियां करवा कर अवैध पैसे प्राप्त किये थे।
इसके अलावा, इन पैसों का प्रयोग जायदादें खरीदने के लिए किया गया था। विकास वर्मा और संगीता वर्मा के पास इन पैसों से खरीदी गईं जायदादों से मिलने वाले किराये के अलावा आय का कोई अन्य साधन नहीं था।
मुलजिमों की कार्य-प्रणाली सम्बन्धी खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि विकास वर्मा साल 2019-20 में दो रियल एस्टेट फर्मों ‘बालाजी इंफ्रा बिल्डटैक’ और ‘बालाजी डिवैल्पर्स’ में अपने पिता के काले धन की उपभोग करके और फर्मों के अन्य हितधारकों से असुरक्षित कर्जे के तौर पर बैंक ऐंट्रियों के द्वारा धन प्राप्त करके और बदले में नकद राशि उनको वापस करके हिस्सेदार बन गया। उसके सह- दोषी संजीव कुमार निवासी खरड़, और कुराली निवासी गौरव गुप्ता और आशीष शर्मा ने प्लॉट बेचने और आवासीय कॉलोनी को गैर-कानूनी ढंग से रेगूलर करवाने के लिए पहले से करारनामे तैयार करके धोखाधड़ी की गतिविधियों में शामिल थे। संजीव कुमार 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ ‘बालाजी इंफ्रा बिल्डटैक’ का फाऊंडर था, और उसने खरड़ में कृषि ज़मीन खरीदने के लिए अन्य हितधारकों के साथ मिलकर 2.30 करोड़ रुपए (उसका हिस्सा) का निवेश किया और फिर इस ज़मीन पर ग़ैर-कानूनी ढंग से आवासीय कॉलोनी को रैगूलराईज करवाया। इसके बाद, उसने बिना कोई लाभ लिए फर्म से इस्तीफ़ा दे दिया, और उसका 15 फीसदी हिस्सा गौरव गुप्ता के द्वारा विकास वर्मा को मिल गया।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस मामले में एक अन्य मुलजिम कॉलोनाईजऱ पवन कुमार शर्मा निवासी पंचकुला को भी जून 2023 में पूर्व ई.ओ. गिरीश वर्मा को आय से अधिक जायदाद बनाने में मदद करने के दोष अधीन गिरफ़्तार किया गया था।
उन्होंने आगे बताया कि पवन कुमार शर्मा ने मानसा जिले के गाँव खुडाल कलाँ, तहसील बरेटा में 5 एकड़ ज़मीन पर स्थित 25000 मीट्रिक टन की क्षमता वाले ओपन पलिंथ (स्टोरेज गोदाम) को कृषि ज़मीन के तौर पर बेच कर गिरीश वर्मा को ग़ैर-कानूनी तौर पर अमीर बनाने में मदद की थी। उन्होंने बताया कि पवन कुमार जो कि एम.सी. ज़ीरकपुर के क्षेत्र में रीयल एस्टेट का कारोबार कर रहा था, द्वारा इस ज़मीन की सरकार द्वारा तय कीमत की अपेक्षा कम कीमत पर रजिस्ट्री करवाई थी, जहाँ गिरीश वर्मा लम्बे समय से ई.ओ. के रूप में तैनात रहा था, और बदले में उसे ग़ैर-कानूनी ढंग से लाभ पहुँचाया गया था।