दिल्ली यूनिवर्सिटी ने 1145 गैर शिक्षण कर्मचारियों के पदो को भरने के लिए वर्ष 2021 में नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के द्वारा आवेदन मांगे गए थे। प्रत्येक पद के लिए आवेदन शुल्क 1000 रूपये भी वसूले गए थे।
इस हिसाब से करीब 4 से 5 लाख आवेदनों के साथ प्रत्येक 1000 रूपये के हिसाब से एनटीए करीब 40-50 करोड रूपये की राशि हडप कर बैठा है। एनटीए ने अब तक उन लाखों आवेदकों के एग्जाम तक नही लिए और ना ही उनको राशि ही लौटाई गई। इस बावत दिल्ली यूनिवर्सिटीज सी कर्मचारी यूनियन (DUCKU) के अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि नैशनल टेस्टिंग एजेंसी के इस कारनामें को किए करीब 4 साल होने को है, ना तो एनटीए और ना ही दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर समेत इस बारे में एनटीए द्वारा करोडों रूपये की धांधली पर चुप्पी साधे बैठे है। अब आलम ये है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा आर-पार के मूड में है। अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा के मुताबिक कुल 51 कैडर में से सिर्फ 5 कैडर का एग्जाम एनटीए द्वारा मार्च, 2023 में लिया गया। जिसमें भारी धांधली हुई और
से धज्जियां उडाई गई। बेखौफ का आलम ये है कि डीयू प्रशासन के हौंसले इस कदर बुलंद है कि विरोध के बावजूद आज तक एनटीए को रद्द नहीं किया गया। और करीब 46 कैडरो की भर्ती के करोड़ों रूपयों के आवेदन शुल्क को साल 2021 से अब तक दबाए बैठा है। यूनियन अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा के मुताबिक जबकि कार्यकारी परिषद के नियमानुसार 18 माह के अंदर तमाम भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण
दिल्ली यूनिवर्सिटीज में कार्यरत कांट्रैक्ट स्टाफ ने इस धांधली के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया गया। इससे घबराकर एनटीए द्वारा तमाम चयनित कर्मचारियों को होल्ड पर रख दिया गया। इस खेल और साजिश के पीछे यूनियन का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन इस पूरी सांठ गांठ में लिप्त था। वहीं यूनिवर्सिटी की सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद द्वारा पास नियम कायदों की पूरी तरह
करना जरूरी होता है। लेकिन यहां तो फरवरी 21 से 18 महीने की अवधि अर्से पहले खत्म हो चुकी है। लेकिन एनटीए देश के लोगों के करोडों रूपये आवेदन के नाम पर डकारे बैठा है। और यूनिवर्सिटीज प्रशासन बोलने को तैयार नहीं है। लिहाजा डीयू कर्मचारी यूनियन एनटीए और यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा गरीब आवेदकों के हडपे करोडों रूपये की वापसी को लेकर आंदोलन करने की तैयारी में है