चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान के मानस रोग विभाग में आए मरीजों का विश्लेषण किया। मरीज तनाव को रोग नहीं मानते है। विभाग में हर साल 10 हजार से अधिक मरीज आते हैं।
छोटी-छोटी बात को लेकर तनाव सिर पर सवार हो रहा है। शुरुआती दौर में यह नींद छीनता है। फिर पाचन तंत्र प्रभावित होता है। लंबे समय तक यह स्थिति उलझनों को बढ़ाकर शरीर को दूसरे विकार दे रही है। दिल्ली सरकार के चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान के मानस रोग विभाग में आए मरीजों के विश्लेषण से इसका पता चला। विभाग में हर साल 10 हजार से अधिक मरीज आते हैं।
डॉ. पूजा सभरवाल ने कहा कि तनाव से पीड़ित मरीजों में पंचकर्मा प्रभावी है। संस्थान में मरीजों का स्नेहन, स्वेदन, शिरो धारा, वमन, विरेचन, नस्य, बस्ति सहित दूसरी सुविधाओं से इलाज किया जाता है। इनकी मदद से न केवल शरीर को आराम मिलता है, बल्कि मन भी शांत होता है। इन प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद मरीजों की स्थिति का अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि पहले के मुकाबले मरीज काफी बेहतर स्थिति में पहुंच जाता है।तनाव को रोग नहीं मानते मरीज
डॉ. जय सिंह ने कहा कि मरीज तनाव को रोग नहीं मानते। संस्थान में रोजाना डेढ़ हजार से अधिक मरीज अलग-अलग विभाग की ओपीडी में इलाज करवाने आते हैं। काउंसलिंग के दौरान इनमें तनाव का पता चलता है। समस्या ज्यादा होने पर रोजाना 50 से 60 मरीजों को मानस रोग विभाग में रेफर या सीधे भेजा जाता है। इनमें से अधिकतर मरीज तनाव से पीड़ित होते हैं। तनाव का इलाज करने के बाद दूसरी समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं।20 से 70 साल तक के मरीज
संस्थान के आंकड़ों के मुताबिक, 20 से 70 साल तक के लोग तनाव के रोगी हैं। इनमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं दस साल के छोटे बच्चों में भी तनाव देखने को मिल रहा है, लेकिन ऐसे बच्चों में विकार गंभीर नहीं होता, जबकि युवाओं में स्थिति गंभीर है।
योग, स्ट्रेस मैनेजमेंट, पंचकर्मा, दवाएं
जीवन शैली में सुधार
खान-पान में बदलावसुविधाओं का होगा विस्तार
संस्थान के निदेशक-प्रिंसिपल प्रोफेसर (डॉ.) एमबी गौड़ ने कहा कि मरीजों में बढ़ते तनाव की समस्या को देखते हुए संस्थान में सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। आने वाले दिनों में संस्थान में अंतरराष्ट्रीय स्तर का वेलनेस सेंटर बनाया जाना है।