Saturday, December 28, 2024
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50 के बजाय पांच जांच में पता लगेगा रोग, एम्स तैयार कर रहा एआई आधारित एल्गोरिदम; इलाज में होगी सहूलियत

विशेषज्ञों का कहना है कि एम्स की स्मार्ट लैब में रोजाना हजारों मरीज के एक लाख से अधिक जांच हो रही है। इनमें एक ही मरीज के कई-कई जांच करने पड़ते हैं। इसमें सुधार के लिए डेटा के आधार पर एक ऐसी एआई तकनीक विकसित होगी जो रोग को टारगेट कर जांच की संख्या सीमित कर देगी।

Delhi: Disease will be detected in five tests instead of 50, AIIMS is preparing AI based algorithm

आने वाले दिनों में किसी रोग को पकड़ने के लिए 50 जांच करवाने की जरूरत नहीं रहेगी। इनकी पहचान पांच जांच में ही हो सकेगी। ऐसा होने पर मरीज के साथ प्रयोगशाला में काम कर रहे डॉक्टरों का समय बचेगा। साथ ही मरीज के इलाज में तेजी आएगी। एम्स में हजारों खून के सैंपल की जांच के दौरान ऑटोमेशन में लाखों टेस्ट का डेटा तैयार होता है। एम्स इसकी मदद से भविष्य में जांच के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित एल्गोरिदम तकनीक विकसित कर रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि एम्स की स्मार्ट लैब में रोजाना हजारों मरीज के एक लाख से अधिक जांच हो रही है। इनमें एक ही मरीज के कई-कई जांच करने पड़ते हैं। इसमें सुधार के लिए डेटा के आधार पर एक ऐसी एआई तकनीक विकसित होगी जो रोग को टारगेट कर जांच की संख्या सीमित कर देगी। संभावना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल कैंसर सहित कई तरह के रोगों की पहचान के लिए किया जा सकेगा। एम्स प्रयोगशाला चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. श्याम प्रकाश ने कहा कि एआई आधारित तकनीक विकसित होने के बाद कम जांच में बेहतर परिणाम हासिल कर सकेंगे। इससे जांच के लिए लगने वाला समय बचेगा साथ ही रोग की पकड़ जल्दी होगी।बचे हुए समय में दूसरे मरीजों की जांच होने से दूसरे मरीजों का फायदा होगा। एम्स में इस समय रोजाना एक लाख 10 हजार जांच करनी होती है। एआई तकनीक विकसित होने से इसमें सुधार होगा। वहीं एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने कहा कि एआई तकनीक की मदद से चिकित्सा सुविधा में सुधार के साथ बदलाव आएगा। बता दें कि एम्स में मंगलवार को भारतीय जैव चिकित्सा विज्ञान अकादमी (आईएबीएस) के उत्तरी क्षेत्र सम्मेलन का समापन हुआ। यह सम्मेलन मानव स्वास्थ्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अनुवाद संबंधी अनुसंधान विषय पर था।

बचेगा लाखों लीटर पानी
एम्स जांच की तकनीक में सुधार कर हर माह लाखों लीटर आरओ वाटर की बचत करेगा। डॉ. प्रकाश ने कहा कि एम्स में खून की जांच के लिए अभी ड्राई (शुष्क) और वेट (गीला) तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। ड्राई तकनीक में दो से 11 माइक्रोलीटर खून के सैंपल से जांच हो जाती हैं। इसकी मदद से दो से तीन घंटे में जांच की रिपोर्ट भी मिल जाती है। एम्स के वार्ड और आपातकालीन में आने वाले मरीजों के रोजाना करीब 25 हजार जांच हो रही हैं। वहीं वेट तकनीक से जांच के लिए हर दिन करीब 15 से 20 हजार आरओ वाटर की जरूरत होती है।

डॉ. श्रीवास्तव को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
समारोह के दौरान भारतीय जैव चिकित्सा विज्ञान अकादमी में बेहतर काम करने वाले डॉ. एलएम श्रीवास्तव को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। आईआईटी के प्रोफेसर हसनैन, एम्स की प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा, प्रोफेसर पीके श्रीवास्तव को भारतीय जैव चिकित्सा विज्ञान अकादमी का फैलो अवार्ड दिया गया। इस दौरान युवा वैज्ञानिक ने ओरल प्रस्तुति दी। 40 से ज्यादा छात्रों ने पोस्टर प्रस्तुत किया। इसके अलावा समारोह में आए 32 से अधिक स्पीकर ने विभिन्न विषयों पर अपने बात रखी। इसमें दवा की स्क्रीनिंग, मेटाबॉलिक डिजीज सहित दूसरे विषयों पर चर्चा होगी। 

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