यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) व गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने ओपीडी में आए मरीजों का विश्लेषण किया। इसमें 10 से 15 फीसदी मरीज ऐसे मिले जिन्हें पिछले करीब एक साल से थकान की समस्या है। इन मरीजों के फेफड़ों के साथ खून की भी जांच की गई।
कोरोना महामारी के बाद शरीर में आई कमजोरी तीन साल बाद भी 20 से 50 साल के लोगों को परेशान कर रही है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) व गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने ओपीडी में आए मरीजों का विश्लेषण किया। इसमें 10 से 15 फीसदी मरीज ऐसे मिले जिन्हें पिछले करीब एक साल से थकान की समस्या है। इन मरीजों के फेफड़ों के साथ खून की भी जांच की गई। सभी रिपोर्ट सामान्य मिली।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के बाद लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में आई गिरावट में पूरी तरह से सुधार नहीं हो पाया है। बड़ी संख्या में मरीजों में थकान के साथ दूसरी समस्या बनी हुई है। वहीं मौसमी बदलाव के बाद खांसी-जुकाम व बुखार भी लंबे समय तक परेशान कर रहा है। इसके अलावा कई मरीजों में हड्डियों में दर्द होने की शिकायत भी मिल रही है।
यूसीएमएस व जीटीबी अस्पताल के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अंकिता गुप्ता ने बताया कि विभाग में रोजाना 200 से अधिक मरीज इलाज करवाने आते हैं। इनमें 10 से 15 फीसदी मरीजों में लंबे समय तक थकान की समस्या देखने को मिली। कारण का पता लगाने के लिए एक्सरे, सीटी स्कैन, फेफड़ों की जांच सहित खून की जांच की गई, लेकिन कोई स्पष्ट कारण का पता नहीं चला। मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री पता करने से पता चला कि इन्हें कभी किसी भी स्तर का कोविड हुआ था। हालांकि उस समय कोई ज्यादा दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब परेशानी बढ़ रही है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि थकान की शिकायत करने वाले मरीजों में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसे मरीज बताते हैं कि वह कुछ काम करने के बाद ही थक जाते हैं। पहले की तरह चल नहीं पाते। सीढ़ी चढ़ने में सांस फूल जाती है।
मरीजों में दिखते हैं ये लक्षण
थकान लगना
पैर सुन्न होना
अच्छी नींद न आना
पढ़ाई में ध्यान न लगा पाना
विशेष मामलों में दिखे यह भी लक्षण
दिल से जुड़ी परेशानी
ब्लॉकेज की समस्या को दूर करने के लिए स्टेंट डला होना