Saturday, December 28, 2024
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रात में गश्त बढ़ाएं, प्रवेश पर नियंत्रण’, चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए राज्यों को केंद्र की सलाह

पश्चिम बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी के बाद बवाल जारी है। वहीं इसी बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्यों को चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए कई सुझाव दिए हैं।

कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद, केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि कार्यस्थल पर चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्यों से अस्पताल परिसरों में रात्रि गश्त और प्रमुख क्षेत्रों में लोगों की पहुंच पर नियंत्रण करने जैसे उपाय करने को कहा है।

जूनियर डॉक्टर से दरिंदगी के बाद जारी है बवाल
इस महीने की शुरुआत में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से संचालित आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई वारदात के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा और उनके साथियों के लिए न्याय के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सीएस और डीजीपी को लिखा पत्र
23 अगस्त को मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को लिखे पत्र में, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने चिकित्सा संस्थानों में हिंसा की घटनाओं और कोलकाता की घटना के बाद हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों के मुद्दे पर उनका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 20 और 22 अगस्त को आदेश दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा था
22 अगस्त के अपने आदेश में, न्यायालय ने अन्य बातों के साथ-साथ निर्देश दिया कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ मिलकर काम करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य सरकारें/केंद्र शासित प्रदेश एनटीएफ की रिपोर्ट प्राप्त होने तक कुछ बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताओं को लागू करें, ताकि कार्यस्थल पर डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर उनकी चिंताओं को दूर किया जा सके।

वहीं सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से नियुक्त राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करेगा। इस मामले में अपूर्व चंद्रा ने कहा, शीर्ष न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि राज्य सरकारें दो सप्ताह की अवधि के भीतर स्थिति की आवश्यकताओं को देखते हुए उपचारात्मक और उचित कार्रवाई करेंगी।

‘अस्पताल में लिखा जाए सजा के विवरण लिखे जाएं’
उन्होंने पत्र में कहा, इस संबंध में, निम्नलिखित कुछ तात्कालिक उपाय हैं, जिन पर स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा बढ़ाने और उनके लिए सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए विचार किया जा सकता है। अपूर्व चंद्रा ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए राज्य के कानूनों और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के साथ-साथ सजा और सजा के विवरणों को स्थानीय भाषा और अंग्रेजी में अस्पताल परिसर में प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करने पर जोर दिया।

अस्पताल सुरक्षा समिति के गठन का आह्वान
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने पत्र में अस्पताल सुरक्षा समिति और हिंसा रोकथाम समिति के गठन का आह्वान किया गया, जिसमें वरिष्ठ डॉक्टर और प्रशासनिक अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल हों, ताकि उचित सुरक्षा उपायों की रणनीति बनाई जा सके और उन्हें लागू किया जा सके।इसमें उनसे अस्पताल के प्रमुख क्षेत्रों में लोगों और मरीजों के रिश्तेदारों के लिए पहुंच का विनियमन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया और मरीज के परिचारकों या रिश्तेदारों के लिए सख्त आगंतुक पास नीति की आवश्यकता पर जोर दिया गया। पत्र में रात की ड्यूटी के दौरान अस्पताल के तमाम ब्लॉकों, छात्रावास भवनों और अन्य क्षेत्रों में रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान करने का आह्वान किया गया। इसमें अस्पताल से अस्पताल के सभी क्षेत्रों में उचित रोशनी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया।

‘अस्पताल परिसर में होनी चाहिए नियमित सुरक्षा गश्त’
इसके अलावा, पत्र में कहा गया है कि रात में अस्पताल परिसर में नियमित सुरक्षा गश्त होनी चाहिए, 24/7 मानवयुक्त सुरक्षा नियंत्रण कक्ष और निकटतम पुलिस स्टेशन के साथ घनिष्ठ संपर्क होना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया है कि अस्पतालों में यौन उत्पीड़न पर एक आंतरिक समिति गठित की जानी चाहिए और सीसीटीवी कैमरों की स्थिति और आवश्यकता की समीक्षा की जानी चाहिए। मंत्रालय इनको लागू करने की तैयारियों पर मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ बैठक कर रहा है।

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