केंद्र सरकार की तरफ से ही नया एक्ट बनाने के निर्देश दिए गए थे, जिसके बाद ही राज्य सरकार ने यह एक्ट तैयार किया था। इसमें भवनों को हाई, मीडियम व लॉ रिस्क कैटेगरी में बांटा गया है। अब इन भवनों पर एनओसी फीस व जुर्माना भी इसी हिसाब से लगेगा। हाई रिस्क वाले भवनों को अधिक एनओसी फीस व जुर्माना देना होगा, जबकि मीडियम व लॉक रिस्क वाले भवनों पर कम फीस लगेगी। राज्य में तीन साल के लिए फायर एनओसी जारी की जाएगी, जो भवन मालिकों के लिए बड़ी राहत है। फायर टैक्स पर सेस लगाने का प्रावधान भी शामिल है।
इसके अलावा अब अग्निशमन विभाग जनता को आग की रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित अग्रिम सेवाएं प्रदान करने के लिए उपयोगकर्ता शुल्क एकत्र कर सकता है। फायर विभाग को मजबूत करने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड का प्रावधान किया गया है। इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए निदेशक व स्थानीय अथॉरिटी मंजूरी के बाद एग्रीमेंट कर सकेंगे।
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