नदी में 357 उद्योगों से रोजाना 72,170 किलोलीटर से अधिक औद्योगिक अपशिष्ट और हर दिन 94.3 करोड़ लीटर घरेलू सीवेज घुलता है। अपर्याप्त बुनियादी ढांचे की वजह से 22 करोड़ लीटर से अधिक पानी अनुपचारित रहता है। खबर का हवाला देते हुए एनजीटी की पीठ ने कहा कि प्रदूषण की गंभीरता नदी की लगातार खराब जल गुणवत्ता मीट्रिक में दिखाई देती है।
एनजीटी ने कहा कि यह मामला जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन की तरफ इशारा करता है।
हरित निकाय ने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रतिवादी बनाया है।