ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया। इससे चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि पैरासिटामोल को लंबे समय तक लेना बुजुर्गों के लिए खतरनाक हो सकता है।
‘लंबे समय तक इस्तेमाल करना खतरनाक’
एनआईएचआर बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर वीय झांग का कहना है कि पैरासिटामोल को अक्सर पुराने जोड़ों के दर्द (ऑस्टियोआर्थराइटिस) के इलाज के रूप में सुझाया जाता है। खासकर बुजुर्गों के लिए इसे काफी सही समझा जाता है क्योंकि वे अन्य दवाओं से संबंधित जटिलताओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। हालांकि, इस दवा का लंबे समय तक खाना उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की ओर धकेल सकता है।
हालांकि, कुछ अध्ययनों ने दर्द से राहत देने में पैरासिटामोल की प्रभावशीलता पर सवाल उठाने वाले सबूत प्रदान किए हैं, जबकि अन्य अध्ययनों ने लंबे समय तक इसके उपयोग से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी बीमारियों जैसे अल्सर और रक्तस्राव, के बढ़ते खतरे को दर्शाया है।
कितना फीसदी रहता है खतरा
ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि पैरासिटामोल खाने से पेप्टिक अल्सर रक्तस्राव और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव के खतरे में क्रमशः 24 प्रतिशत और 36 प्रतिशत की वृद्धि होती है। जबकि क्रोनिक किडनी रोग का खतरा 19 प्रतिशत, हृदय विफलता नौ प्रतिशत और उच्च रक्तचाप सात प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
लाखों लोगों पर किया गया शोध
शोधकर्ताओं ने 1,80,483 (1.80 लाख) लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड देखे, जिन्हें बार-बार पैरासिटामोल (छह महीने के भीतर दो से अधिक बार) दिया गया था। उनकी तुलना उसी उम्र के 4,02,478 (4.02 लाख) लोगों से की गई, जिन्हें कभी पैरासिटामोल नहीं दिया गया था। अध्ययन के लिए क्लिनिकल प्रैक्टिस रिसर्च डेटालिंक-गोल्ड के डेटा का विश्लेषण किया गया।
प्रतिभागियों की आयु 65 वर्ष या उससे अधिक (औसत आयु 75 वर्ष) थी और वे 1998 और 2018 के बीच कम से कम एक वर्ष के लिए यूके के एक सामान्य चिकित्सक के पास पंजीकृत थे।
डॉक्टरों की सलाह
डॉक्टरों ने सलाह दी है कि पैरासिटामोल का उपयोग केवल डॉक्टर की सिफारिश पर और आवश्यकता पड़ने पर ही करें। इसके लंबे समय तक इस्तेमाल किए जाने से बचना चाहिए, खासकर यदि आपको पहले से कोई हृदय या किडनी से जुड़ी समस्या है।
पैरासिटामोल की जगह अन्य विकल्पों पर करें विचार
डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि दर्द और बुखार के इलाज के लिए अन्य उपचार विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव और प्राकृतिक उपचार जैसे हल्की एक्सरसाइज और संतुलित आहार को प्राथमिकता देना भी फायदेमंद हो सकता है।