दिल्ली जल बोर्ड ने बताया कि जल आपूर्ति को संतुलित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, जब तक यमुना का प्रदूषण स्तर नियंत्रित नहीं होता, तब तक पेयजल संकट से निजात मिलना मुश्किल है।
यमुना नदी में अमोनिया का स्तर बढ़ने के कारण राजधानी में पेयजल संकट गहरा गया है। जलाशय में अत्यधिक अमोनिया के चलते वजीराबाद जल शोधक संयंत्र को संचालित करने के लिए मुनक नहर से पानी लाने का फैसला किया गया है। इससे हैदरपुर, बवाना और द्वारका जल शोधक संयंत्रों के संचालन पर असर पड़ा है।
इस कारण इन संयंत्रों में जल उत्पादन में 5 से 10 प्रतिशत तक की कमी हो गई है। इन संयंत्रों में मुनक नहर से कच्चा पानी उपलब्ध कराया जाता है। दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, वजीराबाद जलाशय में यमुना का पानी सामान्य से कई गुना अधिक अमोनिया स्तर के साथ पहुंच रहा है। यह एक जहरीला रसायन है, जिसे जल शोधक संयंत्र पूरी तरह से शुद्ध नहीं कर पाते। यह स्थिति पानी को पेयजल मानकों के लिए अनुपयुक्त बना देती है। वजीराबाद जल शोधक संयंत्र इस प्रदूषित पानी को शुद्ध करने में असमर्थ है। ऐसे में मुनक नहर से पानी लाकर इस संयंत्र को चलाने का निर्णय लिया गया, जो उत्तरी और नई दिल्ली क्षेत्रों में जल आपूर्ति करता है।
हैदरपुर-फेज-एक और दो जल संयंत्रों से जुड़े क्षेत्रों में पीतमपुरा, शालीमार बाग, सरस्वती विहार, मंगोलपुरी, जनकपुरी, तिलक नगर और दिल्ली कैंट शामिल हैं। बवाना जल संयंत्र के तहत सुल्तानपुर डबास, कुतुबगढ़ और कराला जैसे क्षेत्र भी संकटग्रस्त हैं। द्वारका जल संयंत्र से जुड़े पूरे द्वारका क्षेत्र, आईजीआई एयरपोर्ट और नजफगढ़ में भी जल आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
दिल्ली जल बोर्ड ने बताया कि जल आपूर्ति को संतुलित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, जब तक यमुना का प्रदूषण स्तर नियंत्रित नहीं होता, तब तक पेयजल संकट से निजात मिलना मुश्किल है। जल संकट के कारण प्रभावित इलाकों में टैंकरों की मांग बढ़ गई है।