किसान नेताओं ने बताया कि मोर्चे की पहली ट्राली (पंजाब की ओर) व अंतिम ट्राली (हरियाणा की ओर) के बीच स्थान पर स्टेज बनाई गई है। वहीं से डल्लेवाल संबोधित करेंगे व किसानों से भी मिलेंगे। किसान संगठनों के अनुसार महापंचायत में लगभग दो लाख किसान व उनके पारिवारिक सदस्य पहुंचेंगे।
डल्लेवाल का सभी किसानों तक संदेश पहुंचाने के लिए पांच किलोमीटर में हर 100 मीटर पर एक लाउडस्पीकर लगाया गया है। किसान संगठनों के झंडे भी लगाए गए हैं। किसान संगठनों ने खनौरी में पहरेदारी भी बढ़ा दी है। उधर, डल्लेवाल का आमरण अनशन 39वें दिन भी जारी रहा।
प्रशासन उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट लेने के लिए राजी नहीं पाया। एक टीम ने उनके रक्त के नमूने लिए। डाक्टरों ने किसान नेता से तुरंत जरूरी ट्रीटमेंट लेने का आग्रह किया, लेकिन डल्लेवाल ने फिर इन्कार कर दिया।
टोहाना में संयुक्त किसान मोर्चा की सभा
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित हाई पावर कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (राजनीतिक) के नेता शुक्रवार को भी पेश नहीं हुए। दो दिन पूर्व संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भी नहीं गए थे। किसानों के बातचीत के लिए नहीं आने पर हाई पावर कमेटी एमएसपी की गुत्थी सुलझाने के लिए अब कृषि से जुड़े आयोगों, निजी एजेंसियों व विशेषज्ञों से बातचीत करने का सिलसिला शुरू करेगी।
कमेटी ने अगले सप्ताह यानी सात जनवरी से उन संस्थानों को चर्चा के लिए न्यौता दिया है जो न केवल एमएसपी निर्धारित करते हैं, बल्कि कृषि नीतियों पर काम करते हैं और उसकी रेटिंग भी करते हैं। कमेटी ने सबसे पहले ‘खेती लागत एवं मूल्य आयोग’ के चेयरमैन विजयपाल शर्मा को बुलाया है जिससे कमेटी यह समझना चाहती है कि आयोग विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य किस फार्मूले से निर्धारित करता है।
वह यह भी समझना चाहती है कि यदि सभी फसलों पर एमएसपी लागू कर दी जाती है तो इसे अमल में लाने में क्या समस्याएं आ सकती हैं। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद को भी न्यौता भेजा गया है। कमेटी उनसे यह समझना चाहती है कि आयोग कृषि में सुधार लाने के लिए क्या-क्या कर रहा है। बड़ी सहकारी कंपनी अमूल के एमडी के विचार जानने के लिए उन्हें भी बुलाया गया है।
एमएसपी लागू करने में 21 हजार करोड़ की लागत आएगी। पिछले वर्ष यह रिपोर्ट देने वाली ‘क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड (क्रिसिल) एजेंसी को भी बुलाया गया है। क्रिसिल की ओर से यह रिपोर्ट उस समय दी गई थी जब पिछले वर्ष फरवरी में संयुक्त किसान मोर्चा ने शंभू व खनौरी पर धरना लगाया हुआ था और केंद्र के मंत्रियों ने िकसानों से छह दौर की बैठक की थी।
प्रशासन अलर्ट, धारा 163 लागू
किसान संगठनों की चार जनवरी को खनौरी बार्डर पर होने वाली महापंचायत को लेकर प्रशासन अलर्ट हो गया है। प्रशासनिक अधिकारियों समेत ड्यूटी पर तैनात सभी डीएसपी की बैठक हुई। इसमें महापंचायत के संबंध में कानून व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
प्रशासनिक अधिकारियों ने सभी थाना प्रभारी, सीआइए स्टाफ जींद, नरवाना, सफीदों, डिटेक्टिव स्टाफ, सभी चौकी इंचार्ज को बार्डर के आसपास होने वाली गतिविधियों पर पूर्ण रूप से निगरानी रखी जा रही है। पुलिस ने ट्रैफिक एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि नरवाना से गढ़ी होकर पंजाब जाने वाला मुख्य मार्ग बंद रहेगा। यात्रियों से अनुरोध है कि यदि जरूरी ना हो तो यात्रा न करें।
अपने एरिया में शांति बनाए रखें व प्रदर्शनकारियों का सहयोग न करें। डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने खनौरी बार्डर पर धारा 163 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू कर दी है। डीसी ने आदेश जारी किए हैं कि पांच या उससे अधिक व्यक्ति संगठन के रूप में इकट्ठा नहीं हो सकते।
पैदल या ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों के साथ जुलूस निकालने, प्रदर्शन करने, मार्च करने, लाठी, डंडा या हथियार लेकर चलने पर प्रतिबंध लागू है। पंजाब के लगते दातासिंहवाला बार्डर पर पुलिस व अर्धसैनिक बलों की 21 कंपनियां तैनात की गई हैं। जो पुलिस की हर आने जाने वाले व्यक्ति पर नजर रहेगी।
किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं होगी। इनमें पांच केंद्रीय फोर्स, चार कंपनी आइआरबी, दो एचपी, एक कंपनी दुर्गा शक्ति, एक कंपनी महिला फोर्स सहित जिला पुलिस की नौ कंपनियां तैनात रहेगी।
प्रशासन की नजर
किसान संगठनों की महापंचायत को देखते हुए जिला प्रशासन खनौरी बार्डर के साथ लगते गांवों पर नजर रख रहा है। जहां प्रशासन ने दिल्ली-पटियाला मार्ग पर कंक्रीट से बैरिकेडिंग करके लंबे समय से बंद किया हुआ है। वहीं, पंजाब की तरफ से आने वाले लिंक रास्तों पर भी पुलिस की तैनाती की गई है। जहां पर आने जाने वाले वाहनों की नजर रखी जा रही है।