Wednesday, April 23, 2025
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घर के वातावरण में तेजी से ठीक होता है मरीजों का मस्तिष्क, अपनों का साथ पाकर मिलती है ऊर्जा

जीबी पंत और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग की ओपीडी में आ रहे फॉलोअप मरीजों के विश्लेषण से ये बात सामने आई है।

World Brain Day: Patients' brain is recovering rapidly in home environment

सिर में गंभीर चोट के लगने पर मरीज सर्जरी के बाद यदि अपनों के बीच घर पर रहता है तो उसकी रिकवरी तेज होती है। जीबी पंत और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग की ओपीडी में आ रहे फॉलोअप मरीजों के विश्लेषण से ये बात सामने आई है।

ओपीडी में जांच के दौरान पाया गया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों की तुलना में घर पर रहकर इलाज करवाने वाले मरीजों में संक्रमण कम हुआ। अपनों का साथ पाकर मरीज में नई ऊर्जा आई जिसकी मदद से ठीक होने की गति बढ़ी।

विशेषज्ञों का कहना है कि सिर में गंभीर चोट के मरीज का इलाज लंबे समय तक चलता है। मरीजों को महीनों तक बिस्तर पर रहना पड़ा है। कई ऐसे मरीज होते हैं जिनके हाथ-पैर में चेतना नहीं होती। वे केवल देख सकते हैं और कुछ बोल नहीं पाते। ऐसे मरीज यदि अस्पताल में रहते हैं तो मानसिक रूप से परेशान होते हैं। इसके अलावा संक्रमण होने का भी खतरा रहता है।

वहीं, इन मरीजों को यदि घर पर रखा जाता है, तो वे परिवार के साथ दुख को बांट पाते हैं। अपने आसपास परिजनों को पाकर उनमें ठीक होने की लालसा बढ़ती है। ऐसे मरीजों के मस्तिष्क में चेतना आने की संभावना भी ज्यादा होती है। यही कारण है कि जीबी पंत और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल परिजनों को घर पर मरीज की देखभाल, इलाज सहित अन्य ट्रेनिंग देकर घर पर इलाज के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

15 % होते हैं ट्रामा के मरीज 
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉ. शरद पांडे ने बताया कि न्यूरो सर्जरी विभाग की ओपीडी में रोजाना करीब 40 मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें करीब 15 फीसदी मरीज फॉलोअप के लिए आते हैं। इनकी जांच के दौरान यह देखा गया कि घर पर रहकर इलाज करवाने से ठीक होने की गति काफी बेहतर है।

सकारात्मक ऊर्जा का होता है संचार
जीपी पंत में न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दलजीत सिंह ने बताया कि ब्रेन ट्रामा के मरीजों की रिकवरी घर पर इलाज के दौरान ज्यादा देखी गई हैं। ऐसे मरीजों में संक्रमण होने का खतरा भी कम रहता है। जबकि अस्पताल में भर्ती मरीजों में ज्यादा दिक्कत देखी गई है। अपनों के बीच रहने के कारण मरीजों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही कारण है कि परिजनों को विशेष ट्रेनिंग देकर घर पर इलाज करवाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

बढ़ रहे सड़क दुर्घटना के मामले
देश में सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले और गंभीर रूप से घायल लोगों की संख्या हर साल बढ़ रही है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी साल 2022 की रिपोर्ट में 461312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुईं। इन हादसों में मरने वालों की संख्या 168491 रही। वहीं, करीब 4.45 लाख लोग घायल हुए। यह आंकड़ा साल 2021 के मुकाबले करीब 12 फीसदी ज्यादा है। वहीं, इन दुर्घटना के कारण जान गंवाने वालों की संख्या भी 9.4 फीसदी बढ़ गई है। ये आंकड़े हर साल नवंबर में जारी किए जाते हैं। ऐसे में वर्ष 2023 के आंकड़े जारी जारी किए जाने हैं।

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