दीवारों से घिरी मुगलकालीन पुरानी दिल्ली जिसे वाल सिटी के नाम से भी जाना जाता है, से भाजपा का रिश्ता अटूट है। दिल्ली भाजपा का पहला दफ्तर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक के स्थित इसी वाल सिटी के अजमेरी गेट स्थित एक इमारत में खुला था। दशकों तक पार्टी की राजनीति वहां से संचालित होती रहीं।
अटल बिहारी के दिल में बसता था चांदनी चौक
पार्टी को जमीन से शीर्ष तक पहुंचाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दिल में तो चांदनी चौक बसता था। राजनीति के शुरुआती वर्षों में वह चांदनी चौक की गलियों में मिल जाते थे, लेकिन इसी दीवारों से घिरी पुरानी दिल्ली को विधानसभा चुनावों में भाजपा कभी फतह नहीं कर पाई है।
कैसे अभेद दुर्ग बना पुरानी दिल्ली?
किसी चुनाव में पुरजोर कोशिश से भले ही राजनीतिक दीवारों को दरकाने में एकाक कोना जीतने में सफल रहीं, लेकिन दशकों तक कांग्रेस पार्टी का गढ़ रही पुरानी दिल्ली अब सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी का अभेद दुर्ग बना हुआ है।
वैसे, लोकसभा चुनावों में चांदनी चौक दिल्ली के साथ चलते हुए भाजपा के साथ रही है, लेकिन विधानसभा चुनावों की बात अलग है। इसलिए, हाल ही में जारी हुई भाजपा की पहली सूची में पुरानी दिल्ली की सीटों से प्रत्याशी नदारद थे।
इन चार सीटोंं में से चांदनी चौक, बल्लीमारान, सदर बाजार व मटिया महल है। जिसमें से सदर बाजार व चांदनी चौक में भाजपा ने अंतिम बार वर्ष 1993 में जीत दर्ज की थी। जबकि, बल्लीमारान अभी तक चुनावी इतिहास में अभेद रहा है।
मटिया महल में एक बार खुला था भाजपा का खाता
मटिया महल में भाजपा ने मात्र एक बार वर्ष 1983 में खाता खोला था। मौजूदा समय में इन चारों सीटों पर आप का कब्जा है। इसके पहले ये कांग्रेस पार्टी की कब्जे में थी। खास बात कि कुछ विधायकों ने अधिक जीत का रिकॉर्ड भी बनाया है। जैसे कि मटिया महल से मौजूदा विधायक शोएब इकबाल छठवीं बार विधानसभा पहुंचे थे।
इस बार कौन है प्रत्याशी?
इस बार उनके पुत्र आले मोहम्मद इकबाल को आप ने टिकट देते हुए विरासत पर भरोसा जताया है। जबकि, इस मामले में चांदनी चौक के विधायक प्रह्लाद सिंह साहनी कमतर नहीं है। वह पांचवीं बार विधानसभा जीत कर पहुंचे थे। इस बार आप ने उनके पुत्र पुरनदीप को चांदनी चौक से टिकट थमाया है।
दशकों तक कांग्रेस का गढ़ रहा बल्लीमारान
बल्लीमारान दशकों तक कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा। यहां से लगातार दोबार से आम आदमी पार्टी से इमरान हुसैन जीत रहे हैं। जबकि, इसके पहले कांग्रेस पार्टी के हारुन युसूफ ने यहां से लगातार पांच विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी। इस बार कांग्रेस पार्टी ने फिर उन्हीं पर दांव लगाया है।