दुनिया भर में करीब 42 करोड़ से ज्यादा लोग मधुमेह से ग्रस्त हैं। भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है, इस वजह से इसे दुनिया की मधुमेह राजधानी कहते हैं। मधुमेह की चपेट में आने वाले रोगियों में सामान्य मानसिक विकार भी हो सकते हैं।
मधुमेह की चपेट में आने वाले रोगियों में सामान्य मानसिक विकार भी हो सकते हैं। यह जानकारी नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक अध्ययन में सामने आई है, जिसमें डॉक्टरों ने मधुमेह रोगियों में मानसिक विकारों के पुख्ता सबूत खोजे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि समय पर जांच न होने की वजह से मानसिक विकारों के बारे में पता नहीं चल पाता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मधुमेह रोगियों को इन विकारों का जोखिम नहीं है। दिल्ली एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग, मनोरोग और हृदय जैव रसायन विभाग के डॉक्टरों ने तेलंगाना के बीबी नगर स्थित एम्स के साथ मिलकर 211 मधुमेह और 273 गैर मधुमेह रोगियों पर अध्ययन किया, जिसे इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित किया है..,
अध्ययन हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ क्षेत्र के 28 गांवों के उन लोगों पर किया गया, जिन्हें कम से कम एक साल से मधुमेह की शिकायत है। अध्ययन में मधुमेह, अवसाद व चिंता सभी तथ्यों को लेकर जांच की गई। इसके बाद 173 मधुमेह रोगी और 175 गैर मधुमेह रोगियों पर अध्ययन शुरू हुआ। निष्कर्ष बताते हैं कि 67.5% मधुमेह रोगियों में अवसाद और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य परेशानियों की पुष्टि हुई है, जबकि गैर मधुमेह वाले लोगों में से 37.5% में यह परेशानी दर्ज की गई।डॉक्टरों का कहना है, यह अध्ययन 10 में से लगभग सात मधुमेह रोगियों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों की आशंका जता रहे हैं, जो बड़ा आंकड़ा है। डॉक्टरों ने यह भी अनुमान जताया कि दुनिया भर में सामान्य आबादी की तुलना में मधुमेह एक और दो से ग्रस्त रोगियों में अवसाद के मामले क्रमश: दो से तीन गुना ज्यादा हो सकते हैं।