पकड़ा गया अनुराग डाबर एक निजी स्कूल का प्रिंसिपल है, वह छात्रों से डाटा इकट्ठा करता था और इसे दूसरे आरोपी राघव को भेजता था। शर्मा ने कहा कि राघव कंप्यूटर का उपयोग कर डाटा से फर्जी प्रमाणपत्र तैयार करता था और उसे महंगे दामों पर बेचता था।
जालंधर कमिश्नरेट पुलिस ने फर्जी सीबीएसई और ओपन स्कूल सर्टिफिकेट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस कमिश्नर स्वप्न शर्मा ने कहा कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि शहर में एक गिरोह सक्रिय है जो फर्जी सीबीएसई और ओपन स्कूल प्रमाणपत्र बनाने में शामिल है।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोनों व्यक्तियों की पहचान अनुराग डाबर निवासी जालंधर और राघव चड्ढा निवासी फतेहपुरी टांडा रोड के रूप में हुई है। शर्मा ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पुलिस स्टेशन डिवीजन नंबर 8 में धारा 465, 467, 468, 471, 420 आईपीसी, 66डी आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि यह गिरोह बहुत ही शातिर तरीके से काम करता था और बड़े पैमाने पर फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का काम करता था। स्वपन शर्मा ने बताया कि पुलिस ने तलाशी के दौरान आरोपियों के कब्जे से एक प्रिंटर सहित एक कंप्यूटर सेट और करीब 600 फर्जी प्रमाणपत्र बरामद किए।
उन्होंने कहा कि अनुराग डाबर एक निजी स्कूल का प्रिंसिपल है, वह छात्रों से डाटा इकट्ठा करता था और इसे दूसरे आरोपी राघव को भेजता था। शर्मा ने कहा कि राघव कंप्यूटर का उपयोग कर डाटा से फर्जी प्रमाणपत्र तैयार करता था और उसे महंगे दामों पर बेचता था। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि यह गिरोह इन प्रमाणपत्रों को 20 से लेकर 25 हजार रुपये तक की कीमत पर बेचता था। उन्होंने कहा कि मामले की आगे की जांच जारी है और अधिक जानकारी बाद में साझा की जाएगी।