पंजाब विधानसभा के स्पीकर स कुलतार सिंह संधवां ने आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की 30वीं पुण्यतिथि के अवसर पर नई दिल्ली स्थित एकता स्थल, राज घाट पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया। यह कार्यक्रम देश के इतिहास पर अमिट छाप छोड़ने वाले महान नेता को दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित किया गया था।
यह उल्लेखनीय है कि ज्ञानी जैल सिंह का जन्म 5 मई 1916 को फरीदकोट के गांव संधवां में हुआ था और 25 दिसंबर 1994 को उनका निधन हो गया था। एक साधारण व्यक्ति से भारत के पहले सिख राष्ट्रपति बनने तक उनका सफर उनके क़ौम और देश के प्रति समर्पण और सेवा का प्रतीक है।
पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए स संधवां ने 1982 से 1987 तक राष्ट्रपति, 1980 से 1982 तक केंद्रीय गृह मंत्री और 1972 से 1977 तक पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में उनके द्वारा किए गए अद्वितीय योगदान की सराहना की। उन्होंने ज्ञानी जैल सिंह की जनता की भलाई और राज्य के विकास के लिए किए गए महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला।
स संधवां ने यह भी याद किया कि ज्ञानी जैल सिंह ने अमृतसर में सिख मिशनरी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी, जहां उन्होंने ज्ञानी की उपाधि हासिल की थी और एक विद्वान और उभरते हुए राजनीतिज्ञ के रूप में अपने क़ैरियर की शुरुआत की थी। स संधवां ने कहा कि सिख शिक्षाओं के प्रति उनकी गहरी समझ और जनता की सेवा के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता उनके शानदार करियर से स्पष्ट झलकती है।
पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनके योगदान को याद करने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज के प्रमुख लोग, राजनीतिक नेता और उनके प्रशंसक उपस्थित हुए। इस अवसर पर श्रद्धा भाव से पूर्व राष्ट्रपति की अमर धरोहर को याद किया गया।