फरवरी 2024 में शुरू हुई घर-घर राशन वितरण योजना को पंजाब सरकार ने एक जुलाई से बंद कर दिया है। इसमें लगे युवाओं का कहना है कि योजना को बंद करने के दो से तीन दिन पहले उन्हें यह कहा गया कि कल से काम पर नहीं आना है।
पंजाब की सबसे अहम घर-घर राशन वितरण योजना पर सरकार के यू-टर्न के फैसला का सीधा असर युवाओं के रोजगार पर पड़ा है।
फरवरी 2024 में शुरू हुई इस योजना पर पंजाब सरकार ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन अब योजना पर यूटर्न के फैसले ने इससे जुड़े 1500 युवाओं को बेरोजगार कर दिया है। ये वे युवा हैं, जिन्हें पंजाब सरकार ने योजना के तहत हर जिले में लाभार्थियों के घर तक राशन पहुंचाने की योजना में रोजगार दिया था। इन युवाओं को पिछले तीन महीने का वेतन तक नहीं मिला है।
बीते लोकसभा चुनाव में जब प्रदेश की जनता ने योजना पर सवाल उठाए और लाभार्थियों ने पहले की तरह सरकारी डिपो पर जाकर गेहूं ही लेने की मांग की, तो सरकार को अपनी योजना को बंद करना पड़ा। योजना बंद होते ही प्रदेश के सभी 23 जिलों में घर-घर राशन पहुंचाने वाली तैयार की गई टीम को भी तीन से चार दिन में ही काम से हटा दिया गया।
इन 1500 युवाओं की टीम ने अपने-अपने जिलों में डीसी को चिट्ठी लिखकर सरकार को उन्हें अन्य विभाग में स्थानांतरित करने की मांग की है। यहां तक कि इन युवाओं ने बुधवार को पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा को भी अपना मांग पत्र देकर दोबारा नौकरी पर रखने की मांग की।
अब चार महीने का राशन एक साथ
पहले तीन महीने राशन दिया जाता था, अब चार महीने का राशन इकट्ठा दिया जा रहा है। मार्कफेड के प्रबंधक निदेशक गिरीश दयालन की अध्यक्षता में बीते दिनों इस संबंध में एक बैठक हुई थी। इसमें लाभार्थियों को डिपो से ही राशन मुहैया कराने की पुरानी प्रणाली को पुन: संचालित करने की रूपरेखा तैयार की गई थी। पंजाब में कुल 40.19 लाख राशन कार्ड धारक हैं। इन राशन कार्ड के जरिये 1.54 करोड़ लाभार्थियों को घर-घर राशन का लाभ मिल रहा था। सरकार ने 9 फरवरी, 2024 को इस योजना की शुरुआत की थी। 1 जुलाई से गेहूं का वितरण पनग्रेन द्वारा किया जा रहा है। योजना के तहत राज्य में कुल 628 दुकानें हैं।