Friday, December 27, 2024
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जंक फूड के सेवन से किशोरों में बढ़ रहा है बीपी और मोटापा, बाल चिकित्सा विशेषज्ञों के अध्ययन में खुलासा

भारतीय बाल चिकित्सा के एक अध्ययन में 12 से 18 साल के युवाओं में जंक फूड सेवन से परेशानी सबसे ज्यादा पाई गई है। विशेष रूप से मध्यम व उच्च वर्ग परिवार में समस्या ज्यादा दिख रही है। जो आगे चलकर कई गंभीर रोग की आशंका को बढ़ा देती है।

Consumption of junk food is increasing BP and obesity among teenagers

नियमित जंक फूड का सेवन बच्चों और किशोरों में मोटापे के साथ उच्च रक्तचाप बढ़ा रहा है। भारतीय बाल चिकित्सा के एक अध्ययन में 12 से 18 साल के युवाओं में जंक फूड सेवन से परेशानी सबसे ज्यादा पाई गई है। विशेष रूप से मध्यम व उच्च वर्ग परिवार में समस्या ज्यादा दिख रही है। जो आगे चलकर कई गंभीर रोग की आशंका को बढ़ा देती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित जंक फूड का सेवन पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। इसके कारण बच्चाें में मोटापे के साथ उच्च रक्तचाप बढ़ रहा है। इसके अलावा ऐसे बच्चों में आगे चलकर नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर, मेटाबॉलिक सिंड्रोम सहित दूसरी समस्याएं भी दिख रही है। डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के लोकनायक, सफदरजंग, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय सहित दूसरे अस्पतालों में आने वाले ऐसे बच्चों की संख्या काफी है। रोग का इलाज करने के दौरान माता-पिता की काउंसलिंग करने पर जंक फूड के नियमित सेवन का पता चलता है।

जंक फूड में नहीं होता प्रोटीन
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पुलिन गुप्ता ने बताया कि जंक फूड में प्रोटीन नहीं होता। इसमें सॉल्ट के अलावा ऐसे तत्व होते हैं जो युवाओं में मोटापा बढ़ाने के साथ मधुमेह, उच्च रक्तचाप सहित दूसरे रोग दे सकता है। इसके नियमित सेवन से आगे चलकर दिल का रोेग सहित दूसरे गंभीर रोग होने की भी आशंका रहती है।

भारतीय बाल चिकित्सा के जंक फूड को लेकर दिशा-निर्देश

  • बच्चों और किशोरों को जंक फूड से दूर रखे
  • टेलीविजन देखते समय खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
  • मोबाइल देखते समय भी खाद्य वस्तुओं से रहें दूर

फलों का रस

  • बच्चों और किशोरों में फलों के रस की तुलना में मौसमी साबुत फलों का सेवन बेहतर
  • दो साल से छोटे शिशुओं और छोटे बच्चों को फलों का रस (पैक) न दें
  • 2-18 साल के बच्चों में पानी को सबसे अच्छे पेय के रूप में प्रोत्साहित करना चाहिए
  • 2-5 साल के बच्चों को प्रति दिन 125 एमएल और 5 वर्ष से अधिक को प्रति दिन 250 एमएल तक ताजा रस दे सकते हैं

कैफीनयुक्त पेय

  • कैफीनयुक्त ऊर्जा पेय का सेवन न करें।
  • 5-9 साल के बच्चों को अधिकतम आधा कप/दिन (100 एमएल)
  • 10-18 वर्ष के बच्चों को अधिकतम एक कप/दिन (200 एमएल)

9 से 17 साल के बच्चे औसतन दिन में एक बार कर रहे सेवन
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के एक सर्वे के मुताबिक, 9 से 17 साल का बच्चा औसतन दिन में एक बार जंक फूड का सेवन जरूर करता है। 24 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 123 जिलों में उन्होंने एक सर्वे किया। इसमें 9-17 साल के 13,274 स्कूली बच्चों को चुना गया। इसकी जांच करने पर पता चला कि हर बच्चा पैकेज्ड चीनी-मीठे पेय (92.1 फीसदी), नमकीन पैकेज्ड भोजन (94.3 फीसदी) और मीठा पैकेज्ड भोजन (95.1 फीसदी) का सेवन करता है। 53 फीसदी बच्चे में हर दूसरा दिन में कम से कम एक बार पैकेज्ड भोजन या पेय का सेवन करता है। अन्य अध्ययनों के विश्लेषण से पता चला कि स्कूली और कॉलेज जाने वाले स्नातकों के बीच फास्ट फूड की खपत (30-100 फीसदी) के उच्च प्रचलन पर है।

इन समस्याओं के साथ अस्पताल आते हैं बच्चे

  • काफी पतले होने की शिकायत के साथ
  • काफी मोटे होने की शिकायत के साथ
  • पेट में दर्द या कब्ज की शिकायत
  • व्यवहार में बदलाव
  • खाना खाने में आनाकानी
  •  एनीमिया या काफी कमजोर होना

बच्चों में इनकी सबसे ज्यादा मांग
सीएसई के रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा मांग समोसा, पैटीज, बर्गर, मंचूरियन, नूडल्स, पिज्जा, चिप्स, चॉकलेट, बेकरी उत्पाद, सॉफ्ट ड्रिंक, चीनी-मीठे पेय पदार्थ और कैफीन युक्त पेय सहित अन्य की है।

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