भारतीय बाल चिकित्सा के एक अध्ययन में 12 से 18 साल के युवाओं में जंक फूड सेवन से परेशानी सबसे ज्यादा पाई गई है। विशेष रूप से मध्यम व उच्च वर्ग परिवार में समस्या ज्यादा दिख रही है। जो आगे चलकर कई गंभीर रोग की आशंका को बढ़ा देती है।
नियमित जंक फूड का सेवन बच्चों और किशोरों में मोटापे के साथ उच्च रक्तचाप बढ़ा रहा है। भारतीय बाल चिकित्सा के एक अध्ययन में 12 से 18 साल के युवाओं में जंक फूड सेवन से परेशानी सबसे ज्यादा पाई गई है। विशेष रूप से मध्यम व उच्च वर्ग परिवार में समस्या ज्यादा दिख रही है। जो आगे चलकर कई गंभीर रोग की आशंका को बढ़ा देती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित जंक फूड का सेवन पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। इसके कारण बच्चाें में मोटापे के साथ उच्च रक्तचाप बढ़ रहा है। इसके अलावा ऐसे बच्चों में आगे चलकर नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर, मेटाबॉलिक सिंड्रोम सहित दूसरी समस्याएं भी दिख रही है। डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के लोकनायक, सफदरजंग, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय सहित दूसरे अस्पतालों में आने वाले ऐसे बच्चों की संख्या काफी है। रोग का इलाज करने के दौरान माता-पिता की काउंसलिंग करने पर जंक फूड के नियमित सेवन का पता चलता है।
जंक फूड में नहीं होता प्रोटीन
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पुलिन गुप्ता ने बताया कि जंक फूड में प्रोटीन नहीं होता। इसमें सॉल्ट के अलावा ऐसे तत्व होते हैं जो युवाओं में मोटापा बढ़ाने के साथ मधुमेह, उच्च रक्तचाप सहित दूसरे रोग दे सकता है। इसके नियमित सेवन से आगे चलकर दिल का रोेग सहित दूसरे गंभीर रोग होने की भी आशंका रहती है।
भारतीय बाल चिकित्सा के जंक फूड को लेकर दिशा-निर्देश
- बच्चों और किशोरों को जंक फूड से दूर रखे
- टेलीविजन देखते समय खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
- मोबाइल देखते समय भी खाद्य वस्तुओं से रहें दूर
फलों का रस
- बच्चों और किशोरों में फलों के रस की तुलना में मौसमी साबुत फलों का सेवन बेहतर
- दो साल से छोटे शिशुओं और छोटे बच्चों को फलों का रस (पैक) न दें
- 2-18 साल के बच्चों में पानी को सबसे अच्छे पेय के रूप में प्रोत्साहित करना चाहिए
- 2-5 साल के बच्चों को प्रति दिन 125 एमएल और 5 वर्ष से अधिक को प्रति दिन 250 एमएल तक ताजा रस दे सकते हैं
कैफीनयुक्त पेय