यही नहीं 13 फरवरी को जब पंजाब के कोने-कोने से किसान शंभू व खन्नौरी बॉर्डरों पर पहुंचे थे, उस समय भी ट्रैक्टर-ट्रालियों पर ही आए थे। तब भी कानून व्यवस्था का कोई मसला खड़ा नहीं हुआ था। इसलिए जत्थेबंदियों की मांग है कि किसानों को ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ ही दिल्ली जाने की अनुमति दी जाए। डल्लेवाल ने कहा कि बैठक में साफ तौर पर कहा गया कि किसानों का निशाना रास्ते रोकना नहीं है। किसान केवल अपनी बात रखने के लिए दिल्ली जाना चाहते हैं।
डल्लेवाल ने कहा कि किसान मांगों को लेकर बात करने के लिए केंद्र सरकार से राजी हैं। लेकिन पहले चुनाव आचार संहिता का बहाना बनाकर सरकार ने बात करने से पल्ला झाड़ लिया। लेकिन जून में नई सरकार बनाने के बावजूद अब तक बात करने को कोई न्यौता नहीं दिया है। इससे सरकार की नीयत साफ होती है। डल्लेवाल ने कहा कि किसान बॉर्डरों पर डटे रहेंगे। रास्ते खुलते ही ट्रैक्टर-ट्रालियों पर दिल्ली के लिए कूच किया जाएगा।
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