Saturday, December 28, 2024
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21 सितंबर को आतिशी का शपथ ग्रहण समारोह, उनके साथ अन्य मंत्री भी लेंगे शपथ

दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सीएम बनने जा रहीं आतिशी 21 सितंबर को शपथ लेंगी। इसी दिन उनकी पूरा मंत्रिमंडल भी शपथ लेगा।

आतिशी 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। उनके साथ अन्य मंत्री भी शपथ लेंगे। अरविंद केजरीवाल ने बीते मंगलवार की शाम को एलजी को अपना इस्तीफा सौंपा था और आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था।

आम आदमी पार्टी ने एक बयान में कहा कि आतिशी 21 सितंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगी, उनके साथ अन्य मंत्री भी शपथ लेंगे। बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सरकार के गठन के प्रस्ताव के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा था।

इससे पहले मंगलवार अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले अपने उत्तराधिकारी के तौर पर आतिशी को चुना। मंगलवार शाम राजनिवास पहुंचे केजरीवाल ने केजरीवाल ने एलजी का सौंपा। साथ में आतिशी ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। उपराज्यपाल ने दोनों प्रस्तावों को बुधवार मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेज दिया। इसमें 21 सितंबर को आतिशी को शपथ दिलाने का प्रस्ताव भी एलजी ने राष्ट्रपति को दी। यह फाइल केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी गई।

राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद आतिशी शनिवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगी। राज निवास सूत्रों के अनुसार, एलजी ने स्वेच्छा से शपथ दिलाने की तारीख तय की है। इसके लिए अरविंद केजरीवाल व आतिशी ने उनको कोई सुझाव नहीं दिया था।

तकनीकी रूप से मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने पर पूरा मंत्रिमंडल भंग माना जाता है। इस वजह से आतिशी के साथ ही उनका पूरा मंत्रिमंडल शपथ लेगा। इस मंत्रिमंडल में कुछ नये विधायक जुड़ेंगे तो कुछ पुरानी मंत्रियों को शामिल किया जाएगा। मंत्रियों के नाम और उनके विभाग तय करने का अधिकार मुख्यमंत्री का ही होगा। सूत्र बताते हैं कि केजरीवाल कैबिनेट के मंत्री आतिशी की कैबिनेट में शामिल होंगे। वहीं, न्यूनतम दो नए चेहरे भी कैबिनेट में दिखेंगे। आतिशी के साथ उनके कैबिनेट सहयोगी भी शपथ ले सकते हैं। इसके बाद 26 और 27 सितंबर को दिल्ली विधानसभा का सत्र बुलाया जा सकता है। जहां विश्वास मत भी पेश किया जा सकता है। साथ ही विधायी प्रक्रिया पूरी की जाएगी और दिल्ली से जुड़े मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।

ये होगी आतिशी की नई कैबिनेट
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ सरकार की नए कैबिनेट में शामिल होने वाले चेहरों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। उम्मीद है कि नई कैबिनेट में सभी पुराने चेहरों को मौका मिल सकता है। वहीं, आतिशी के मुख्यमंत्री बनने से इसमें दो नए चेहरे भी शामिल होंगे। नई कैबिनेट के खाली पदों पर पार्टी क्षेत्रीय व जातीय समीकरण साधने की कोशिश करेगी। इसमें एक अनुसूचित जाति के सदस्य को मौका मिल सकता है। दूसरा पूर्वांचल समेत दूसरे किसी क्षेत्र का हो सकता है।

दौड़ में ये नाम हैं शामिल
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री मौजूदा कैबिनेट को बदलने के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में उम्मीद है कि मौजूदा मंत्रियों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। वहीं, अन्य दो सीटों पर कई विधायक दौड़ में हैं। इन दोनों सीटों में एक सामान्य सीट है। इस सामान्य सीट पर मंत्री बनने की दौड़ में सोमनाथ भारती, दुर्गेश पाठक, संजीव झा, दिलीप पाण्डेय और महेंद्र गोयल शामिल हैं। वहीं, एसटी कोटे से मंत्री बनने की दौड़ में कुलदीप कुमार, विशेष रवि और गिरीश सोनी शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो बृहस्पतिवार तक दिल्ली कैबिनेट को लेकर फैसला हो जाएगा।

पहली कैबिनेट में महिला सम्मान योजना

आम आदमी पार्टी से विधायक दल की नेता चुनी गईं आतिशी के नेतृत्व में बन रही दिल्ली सरकार की पहली कैबिनेट में दिल्ली मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना पास हो सकती है। संभावना जताई जा रही है कि अक्तूबर के पहले सप्ताह नई सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक होनी है। इस बैठक में कई विषयों पर चर्चा होगी। इसमें प्रमुखता के साथ दिल्ली मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना पर चर्चा होगी। इस योजना के लिए दिल्ली सरकार ने बजट में दो हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इस योजना के तहत दिल्ली में 18 साल से अधिक उम्र की हर महिला को प्रति माह एक हजार रुपये देने का लक्ष्य है। हालांकि नौकरीपेशा या आर्थिक लाभ अर्जित कर रही महिला को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा दिल्ली जल बोर्ड की बिल माफी योजना सहित अन्य जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी।

10 साल बाद मुख्यमंत्री के पास हो सकता है विभाग
आप सरकार में 10 साल बाद मुख्यमंत्री के पास कोई विभाग हो सकता है। उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद आतिशी शिक्षा, लोक निर्माण विभाग सहित महत्वपूर्ण विभागों को अपने पास रखेंगी जबकि इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा था। हालांकि कुछ समय के लिए जल विभाग को देखा था, लेकिन एक समय के बाद उस विभाग को भी छोड़ दिया था।

 

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