सुनील जाखड़ ने पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद मई 2022 में भाजपा का दामन थाम लिया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें भाजपा में शामिल कराया था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने जाखड़ को पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था।
पंजाब भाजपा के प्रधान सुनील जाखड़ के इस्तीफे की खबर शुक्रवार सुबह जैसे ही मीडिया में आई, पार्टी के नेता भाैचक्के रह गए। तुरंत पार्टी की तरफ से इसका खंडन किया गया। बाद में जाखड़ ने भी इसे निराधार बताया। अब सियासी गलियारों में चर्चा है कि आखिर इस अफवाह का आधार क्या है।
दरअसल सुनील जाखड़ पहले कांग्रेसी थे। लेकिन कांग्रेस सरकार में सीएम न बन पाने का मलाल उन्हें हमेशा रहा। वह उस दर्द को भूल नहीं पाते जब उनका पत्ता काटकर पहले नवजोत सिंह सिद्धू को पीपीसीसी की जिम्मेदारी दी गई फिर पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की छुट्टी के बाद चन्नी को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया गया। तब से जाखड़ कांग्रेस से नाराज हुए।
भाजपा ने पार्टी प्रधान बनाया
इसके बाद वह भाजपा में शामिल हुए। भाजपा ने उन्हें राज्य पार्टी अध्यक्ष तो बनाया, लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें नहीं चुना। पार्टी ने चुनाव हार चुके रवनीत सिंह बिट्टू को मंत्रिमंडल में जगह दी।
10 जुलाई के बाद से नहीं ली मीटिंग
सूत्र बताते हैं कि बिट्टू के मंत्री बनने के बाद से जाखड़ काफी शांत चल रहे हैं। 10 जुलाई के बाद से किसी भी मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया है। भले ही जाखड़ हिंदू और जाट नेता हों, लेकिन पंजाब की राजनीति में पगड़ी न पहनना उन्हें महंगा पड़ गया। उन्हें कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसने उन्हें सिख न होने के कारण मुख्यमंत्री पद के लिए नहीं चुना। वरिष्ठ कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने खुलेआम कहा था कि जाखड़ पंजाब के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते, क्योंकि वे सिख नहीं हैं।
दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी ने अपनी राज्य इकाई में हिंदुओं से ज्यादा सिख कांग्रेस नेताओं को शामिल किया। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भले ही कोई सीट नहीं जीती हो, लेकिन उसका वोट शेयर 2019 में 9% से बढ़कर 2024 में 18% हो गया है।
भाजपा में भी जाखड़ का विरोध
जाखड़ 19 मई, 2022 को बीजेपी में शामिल हुए थे। जुलाई 2023 में जाखड़ को राज्य पार्टी प्रमुख के रूप में पदोन्नत किया गया। जाखड़ को प्रधानगी मिलने के बाद पार्टी में सब ठीक ठाक नहीं रहा। पार्टी के कई टकसाली नेता दरकिनार किए जाने से काफी असहज व रोष में दिखते आए हैं। हाल ही में पार्टी के टकसाली नेता हरजीत ग्रेवाल व सुखमिंदर ग्रेवाल ने तो मोर्चा खोल दिया और कहा कि जो लोग उनकी पार्टी को जलील करते थे, आज सिर पर बैठ दिया गया है। पंजाब के दो बार प्रधान रहे अश्वनी शर्मा ने तो खुद को पठानकोट तक सीमित रख लिया है। पार्टी के पूर्व सांसद अविनाश राय खन्ना नजर नहीं आते हैं।