Friday, December 27, 2024
Google search engine
Homeदेशछोटे-छोटे उपग्रहों का बढ़ता झुंड पर्यावरण के लिए खतरा, ओजोन परत को...

छोटे-छोटे उपग्रहों का बढ़ता झुंड पर्यावरण के लिए खतरा, ओजोन परत को पहुंचाते हैं गंभीर नुकसान

खगोलशास्त्री जोनाथन मैकडॉवेल के अनुसार इनमें से 6,137 काम कर रहे हैं। यह छोटे-छोटे उपग्रह पर्यावरण को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं। वायुमंडल में जले हुए पदार्थ-उपग्रहों के पुनः प्रवेश करने से वायुमंडलीय तापमान प्रभावित होता है और ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है।

 

अंतरिक्ष में छोटे-छोटे उपग्रहों का बढ़ता झुंड पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बनता जा रहा है। एक नए शोध अध्ययन में कहा गया है कि ये उपग्रह ओजोन परत के लिए बेहद खतरनाक हैं। एक तरफ जहां इन उपग्रहों को बनाने और भेजने से पर्यावरण पर दबाव बढ़ता है, वहीं अपने जीवन के अंतिम चरण में जब यह उपग्रह वापस गिरना शुरू करते हैं तो यह ओजोन परत को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।

इस अध्ययन के नतीजे जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुए हैं। जून 2024 तक कक्षा में 6,209 स्टारलिंक उपग्रह मौजूद थे। खगोलशास्त्री जोनाथन मैकडॉवेल के अनुसार इनमें से 6,137 काम कर रहे हैं। यह छोटे-छोटे उपग्रह पर्यावरण को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं। वायुमंडल में जले हुए पदार्थ-उपग्रहों के पुनः प्रवेश करने से वायुमंडलीय तापमान प्रभावित होता है और ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है। प्रकाश प्रदूषण-पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद कई चमकीले उपग्रहों से रात्रि आकाश में कृत्रिम प्रकाश फैलता है। इससे खगोलीय प्रेक्षणों में बाधा आती है और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ता है।
एल्युमीनियम ऑक्साइड में आठ गुना वृद्धि हुई
250 किलोग्राम का एक उपग्रह एल्युमिनियम ऑक्साइड के करीब 29.8 किलो कण पैदा करता है जो दशकों तक वायुमंडल में मौजूद रहते हैं। इनमें से ज्यादातर कण पृथ्वी की सतह के 50 से 85 किलोमीटर ऊपर मेसोस्फीयर में बनते हैं। अनुमान है कि इन कणों के समताप मंडल तक पहुंचने में 30 लगेंगे, जहां पृथ्वी की 90 फीसदी ओजोन स्थित है। अनुमान है कि एल्युमीनियम ऑक्साइड में आठ गुना वृद्धि हुई है।

लगातार उपग्रहों को लॉन्च करने से प्रदूषण चक्र चलता रहेगा

वैज्ञानिकों को आशंका है कि अगले कुछ दशकों में प्रदूषण चक्र चलता रहेगा। एक समस्या यह भी है कि पृथ्वी की निचली कक्षा में इन संचार उपग्रहों का जीवनकाल करीब पांच वर्ष होता है। इन्हें इस तरह डिजाइन किया गया है कि सेवा समाप्त होने के बाद वे वायुमंडल में जल जाएं। इंटरनेट सेवा को बनाए रखने के लिए उपग्रहों को लॉन्च करना पड़ेगा, जिससे प्रदूषण बढ़ेगा।

समझने के लिए वैज्ञानिकों ने सिमुलेशन की मदद ली
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि है कि जब यह उपग्रह अपने जीवन के अंतिम चरण में पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करते हैं तो इनके जलने से एल्यूमीनियम ऑक्साइड के महीन कण पैदा होते हैं। यह महीन कण पृथ्वी का सुरक्षा घेरा समझी जाने वाली ओजोन परत को तेजी से नुकसान पहुंचाते हैं। एल्यूमीनियम ऑक्साइड के यह महीन कण क्लोरीन को सक्रिय करने में मदद करते हैं जो अंततः समताप मंडल में ओजोन परत को प्रभावित करते हैं। इस पूरे घटनाक्रम को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने विस्तृत सिमुलेशन की मदद ली है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments