एल्युमीनियम ऑक्साइड में आठ गुना वृद्धि हुई
250 किलोग्राम का एक उपग्रह एल्युमिनियम ऑक्साइड के करीब 29.8 किलो कण पैदा करता है जो दशकों तक वायुमंडल में मौजूद रहते हैं। इनमें से ज्यादातर कण पृथ्वी की सतह के 50 से 85 किलोमीटर ऊपर मेसोस्फीयर में बनते हैं। अनुमान है कि इन कणों के समताप मंडल तक पहुंचने में 30 लगेंगे, जहां पृथ्वी की 90 फीसदी ओजोन स्थित है। अनुमान है कि एल्युमीनियम ऑक्साइड में आठ गुना वृद्धि हुई है।
लगातार उपग्रहों को लॉन्च करने से प्रदूषण चक्र चलता रहेगा
वैज्ञानिकों को आशंका है कि अगले कुछ दशकों में प्रदूषण चक्र चलता रहेगा। एक समस्या यह भी है कि पृथ्वी की निचली कक्षा में इन संचार उपग्रहों का जीवनकाल करीब पांच वर्ष होता है। इन्हें इस तरह डिजाइन किया गया है कि सेवा समाप्त होने के बाद वे वायुमंडल में जल जाएं। इंटरनेट सेवा को बनाए रखने के लिए उपग्रहों को लॉन्च करना पड़ेगा, जिससे प्रदूषण बढ़ेगा।
समझने के लिए वैज्ञानिकों ने सिमुलेशन की मदद ली
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि है कि जब यह उपग्रह अपने जीवन के अंतिम चरण में पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करते हैं तो इनके जलने से एल्यूमीनियम ऑक्साइड के महीन कण पैदा होते हैं। यह महीन कण पृथ्वी का सुरक्षा घेरा समझी जाने वाली ओजोन परत को तेजी से नुकसान पहुंचाते हैं। एल्यूमीनियम ऑक्साइड के यह महीन कण क्लोरीन को सक्रिय करने में मदद करते हैं जो अंततः समताप मंडल में ओजोन परत को प्रभावित करते हैं। इस पूरे घटनाक्रम को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने विस्तृत सिमुलेशन की मदद ली है।