यह पुतले गीले होने पर न ही फटेंगें और न ही गिला होगा। इसके अलावा धूप व बारिश में भी इसकी चमक व रंग फीका नहीं पड़ेगा। पुतलों की शान वैसी की वैसी ही बनी रहेगी।
दशहरा के अवसर पर बेमौसम की बारिश भी इस बार रावण का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। राजधानी में वाटरप्रूफ कागज से दशानन के पुतलों को तैयार किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि यह पुतले गीले होने पर न ही फटेंगें और न ही गिला होगा। इसके अलावा धूप व बारिश में भी इसकी चमक व रंग फीका नहीं पड़ेगा। पुतलों की शान वैसी की वैसी ही बनी रहेगी। इन पुतलों को देखकर यूं लगा रहा हैं मानो कि अभी रावण हंसी के ठहाके लगाने लगेगा। इस विशेष रंगीन कागज को जापान से मंगवाया गया है।
सुभाष नगर, राजौरी गार्डन व नंगली डेयरी, पालम, रोहिणी समेत अन्य इलाकों में बड़ी संख्या में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले तैयार किए जा रहे हैं। कारीगरों के मुताबिक पुतले में इस्तेमाल होने वाले रंगीन वाटरप्रूफ कागज को जापान से मंगवाया गया है। सुभाष नगर के तितारपुर के पास चार दशक से रावण का पुतला बना रहे कारीगर सत्यपाल राय ने बताया कि यह एक विशेष कागज है, जिसे जापान से मंगवाया जाता है। बेहद अच्छी क्वालिटी का कागज होता है, जो रंग नहीं छोड़ता। न ही इससे बने पुतलों की चमक फीकी पड़ती है। इसके अलावा अगर यह कागज गिला भी हो जाता है, तो इसमें सिलवटें नहीं पड़ती। पहले की तरह एकदम नया लगाता है। उन्होंने बताया कि यह उनकी तीसरी पीढ़ी है, जो रावण को पुतलों को तैयार कर रही है। इसके लिए कई महीने पहले से तैयारी शुरू हो जाती है।