Saturday, December 28, 2024
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जापान के कागज से तैयार हो रहा दशानन का पुतला, देखकर लगा रहा मानो अभी हंसी के ठहाके लगाने लगेगा

यह पुतले गीले होने पर न ही फटेंगें और न ही गिला होगा। इसके अलावा धूप व बारिश में भी इसकी चमक व रंग फीका नहीं पड़ेगा। पुतलों की शान वैसी की वैसी ही बनी रहेगी।

दशहरा के अवसर पर बेमौसम की बारिश भी इस बार रावण का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। राजधानी में वाटरप्रूफ कागज से दशानन के पुतलों को तैयार किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि यह पुतले गीले होने पर न ही फटेंगें और न ही गिला होगा। इसके अलावा धूप व बारिश में भी इसकी चमक व रंग फीका नहीं पड़ेगा। पुतलों की शान वैसी की वैसी ही बनी रहेगी। इन पुतलों को देखकर यूं लगा रहा हैं मानो कि अभी रावण हंसी के ठहाके लगाने लगेगा। इस विशेष रंगीन कागज को जापान से मंगवाया गया है।
सुभाष नगर, राजौरी गार्डन व नंगली डेयरी, पालम, रोहिणी समेत अन्य इलाकों में बड़ी संख्या में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले तैयार किए जा रहे हैं। कारीगरों के मुताबिक पुतले में इस्तेमाल होने वाले रंगीन वाटरप्रूफ कागज को जापान से मंगवाया गया है। सुभाष नगर के तितारपुर के पास चार दशक से रावण का पुतला बना रहे कारीगर सत्यपाल राय ने बताया कि यह एक विशेष कागज है, जिसे जापान से मंगवाया जाता है। बेहद अच्छी क्वालिटी का कागज होता है, जो रंग नहीं छोड़ता। न ही इससे बने पुतलों की चमक फीकी पड़ती है। इसके अलावा अगर यह कागज गिला भी हो जाता है, तो इसमें सिलवटें नहीं पड़ती। पहले की तरह एकदम नया लगाता है। उन्होंने बताया कि यह उनकी तीसरी पीढ़ी है, जो रावण को पुतलों को तैयार कर रही है। इसके लिए कई महीने पहले से तैयारी शुरू हो जाती है।
पोर और चवाड़ किस्म बांस से तैयार हो रहे पुतले
दिल्ली के सबसे बड़े रावण के पुतलों के बाजार में बांस भी खास किस्म का होता है। तितारपुर में रावण बना रहे कारीगर विक्की ने बताया कि रावण के ढांचे को तैयार करने के लिए असम, उत्तराखंड से पोर और चवाड़ किस्म का बांस मंगवाया है। इस बांस की खास बात है कि यह हल्का, हरा व लचीला होता है। जिससे रावण के ढांचे को आसानी से तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र व हरियाणा सहित अन्य स्थानों से पुतलों की मांग की जा रही है। इस बार कारोबार अच्छा हो रहा है। वहीं, विक्रम बताता हैं कि डिजाइनर पुतले तैयार किए जा रहे हैं। धोती, कुर्ता और पैरों में नागरा स्टाइल की जूते पहने पुतले की मांग सबसे अधिक। इसके अलावा ग्राहक बॉडी बिल्डर पुतलों की भी मांग कर रहे हैं।
गदा वाला पुतला भी हो रहा तैयार
वहीं, कुछ पुतला निर्माता तो अपने पुतलों के विदेश तक जाने का दावा कर रहे हैं। इसके अलावा गोल मटोल रावण लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। वहीं, सिर में सींग वाला रावण भी हटकर है। रावण के पुतले के साथ एक्सपेरिमेंट करने वाले पुतला निर्माता अमित कुमार बताते हैं कि यह रावण उन्होंने एक ग्राहक की मांग पर बनाया है। वहीं, सींग वाला रावण बनाने वाले पवन सिंह कहते हैं कि ग्राहक जैसी मांग करते हैं, हम उसी हिसाब से माल तैयार करते हैं। पिछले दिनों एक ग्राहक ने कहा कि उसे रावण के पुतले के हाथ में गदा भी चाहिए। इसलिए इस बार गदा वाला पुतला तैयार कर रहे हैं।
सड़क के पीछे तंबू में रहते हैं कारीगर
एक पुतले को अंतिम रूप दे रहे ‘रावण वाला रवि’ के नाम से मशहूर एक कारीगर ने कहा कि मांग अच्छी है। इस बार बाजार अच्छा है। रवि पिछले तीन दशकों से अतिरिक्त पैसे के लिए पुतला कलाकार के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने इस वर्ष 60 से अधिक पुतलों को चित्रित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20 अधिक है। कई कारीगर राजस्थान, हरियाणा और बिहार से आए हैं, जबकि कुछ पास में ही किराये के घरों में रहते हैं, अन्य सड़क के पीछे बने तंबू में रहते हैं।
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