दरअसल, देश में अरहर दाल का उत्पादन 35 लाख मीट्रिक टन के करीब होता हैं। जबकि इस दाल की घरेलू खपत ही 45 लाख मीट्रिक टन है। ऐसे में केंद्र सरकार को हर वर्ष मोजांबिक, म्यांमार समेत दूसरे देशों से दाल का आयात करना पड़ता है। जबकि पीली मटर के इस्तेमाल से खपत को पूरा करने की भी कोशिश की जाती है।
देश में आटा दाल की महंगाई कम होने का नहीं ले रही है। गेहूं के बाद अब अरहर यानी तूर दाल की कीमत भी रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गई हैं। केरल में सर्वाधिक थोक कीमत 14842 रुपये प्रति क्विंटल पर जा पहुंची है। इस साल मई में 13428 रुपये प्रति क्विंटल के बाद भाव में यह सर्वाधिक उछाल देखा गया है। अभी राष्ट्रीय स्तर पर अरहर दाल का मौजूदा भाव 9662 रुपये प्रति क्विंटल है। जो बीते साल से 19 फीसदी अधिक है।
दरअसल, देश में अरहर दाल का उत्पादन 35 लाख मीट्रिक टन के करीब होता हैं। जबकि इस दाल की घरेलू खपत ही 45 लाख मीट्रिक टन है। ऐसे में केंद्र सरकार को हर वर्ष मोजांबिक, म्यांमार समेत दूसरे देशों से दाल का आयात करना पड़ता है। जबकि पीली मटर के इस्तेमाल से खपत को पूरा करने की भी कोशिश की जाती है। केंद्र सरकार ने अरहर दाल का उत्पादन 40 लाख टन के पार पहुंचने की संभावना जताई गई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि इस बार खरीफ सीजन में किसानों ने अरहर की बुवाई 6 लाख हेक्टेयर में अधिक की है। इसके बाद कुल रकबा बीते साल के 40.74 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 46.50 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है।
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि, महंगी दाल से लोगों को निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि वो अपनी अरहर दाल की खरीद को बढ़ाएगी। केंद्र सरकार जल्द ही तुअर दाल की सरकारी खरीद को बढ़ाकर 8-10 लाख टन करने जा रही है जबकि पहले सरकारी खरीद का टारगेट इतना नहीं होता था। केंद्र सरकार ने दालों के रेट को कम करने के लिए सितंबर में अरहर और उड़द दाल की स्टॉक लिमिट की अवधि को 30 अक्टूबर 2023 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2023 कर करने का फैसला किया था। सरकार ने स्टॉक होल्डिंग यूनिट्स के लिए स्टॉक रखने की लिमिट को घटाया था। सरकार ने ये फैसला जमाखोरी को रोकने और रिटेल कस्टमर को सही कीमत पर दाल मुहैया कराने के मकसद से लिया गया था।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार केरल में अरहर दाल की सर्वाधिक भाव दर्ज किया गया है। इसके बाद बिहार और उत्तर प्रदेश में थोक कीमत दर्ज की गई है । केरल में जहां थोक भाव 14842.85 रुपये प्रति क्विंटल है। वहीं,बिहार में 14000 रुपये प्रति क्विंटल और उत्तर प्रदेश में 10522.39 रुपये प्रति क्विंटल थोक भाव दर्ज किया गया है। जबकि, बाकी राज्यों में अरहर दाल का भाव 9394.19 रुपये प्रति क्विंटल है जो बीते साल की तुलना में 27 फीसदी अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर अरहर दाल के थोक भाव की बात करें तो 9662 रुपये प्रति क्विंटल है जो बीते साल के भाव 8182 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में 18.1 फीसदी अधिक है।
कृषि विशेषज्ञ एम.के.दास का कहना है कि,खरीफ सीजन में बोई गई अरहर दाल की कटाई दिसंबर में शुरू हो जाती है, जिससे मंडियों में नई आवक दिसंबर के अंत तक या जनवरी में शुरू हो जाएगी और तब दाल की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद है। नई फसल की आवक के आने के साथ ही खाद्य महंगाई दर में गिरावट आने की उम्मीद है। भारत में सबसे ज्यादा खपत अरहर दाल की होती है। इसके बाद चने की दाल की मांग रहती है। देश में कर्नाटक सबसे ज्यादा इस दाल का उत्पादन करता है। इसके बाद महाराष्ट्र में इसकी खेती होती है। इन दोनों राज्यों में इस बार मौसम की मार की वजह से दाल की फसल प्रभावित हुई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के महंगाई आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 में खाद्य महंगाई दर 14 माह के उच्चतम स्तर 10.87 फीसदी पर पहुंच गई है। जबकि, दालों की महंगाई दर अक्टूबर में 7.43 फीसदी दर्ज की गई है। दालों की मौजूदा बढ़ती कीमतों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि नवंबर माह के आंकड़ों में दालों की महंगाई दर 8 फीसदी को पार कर सकती है।