शंभू बाॅर्डर पर फरवरी से बैठेे पंजाब के किसान दोपहर एक बजे दिल्ली के लिए आगे बढ़ेंगे।बॉर्डर पर किसानों ने भी अपनी तरफ एक बैरिकेडिंग कर दी है। इसके आगे सिर्फ 101 किसानों का जत्था जाएगा, जिन्हें मरजीवड़े कहा जा रहा है।
मांगों के लिए दिल्ली कूच करने वाले 101 किसानों के जत्थे को इस बार मरजीवड़े का नाम दिया है। किसान नेता सुरजीत सिंह फूल का कहना है कि मरजीवड़े का मतलब किसी की जान लेना नहीं है, बल्कि अपनी जान कुर्बान करने के लिए खुद को पेश करना है।
श्री गुरु तेग बहादुर ने भी बनाया था मरजीवड़ा जत्था
सूत्रों के अनुसार, इससे ही केंद्र व हरियाणा सरकार घबराई हुई हैं। खुद पटियाला पुलिस प्रशासन ने वीरवार को शंभू बार्डर पर किसानों के साथ हुई बैठक में इस बात का खुलासा करते कहा कि यही वजह है कि किसानों को शांतिपूर्ण पैदल मार्च करते हुए भी दिल्ली कूच करने देने से पीछे हटाया जा रहा है।
फूल ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब ने भी अपना मरजीवड़ा जत्था बनाया था, जिसमें भाई मतीदास, सतीदास और भाई दयाला को शामिल किया था। किसान तो पंजाब की इस रिवायत को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र व हरियाणा सरकारें मरजीवडे शब्द का सहारा लेकर किसानों को दिल्ली कूच से रोकना चाहती है।
शंभू बाॅर्डर पर किसानों ने भी की बैरिकेडिंग
शंभू बार्डर पर किसानों की ओर से भी बैरीकेडिंग की गई है। जाएगी। पंधेर ने बात करते खुलासा किया कि इसमें एक बफर जोन रहेगा, जहां पर वालंटियर तैनात रहेंगे और इसके आगे किसी को जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बैरीकेडिंग का फैसला इसलिए किया गया है कि ताकि फरवरी वाले हालात दोबारा पैदा न हों, क्योंकि कईं बार किसानों पर जबर होता देखकर नौजवान आक्रोशित हो जाते हैं या फिर साजिश के तहत कहीं हुल्लड़बाजों को आगे करके किसानी आंदोलन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश न की जाए। साथ ही किसान जत्थेबंदियां नहीं चाहती हैं कि किसी अन्य की जान को खतरे में डाला जाए।
करीब 150 सदस्यों की रेस्क्यू टीम जत्थे में शामिल किसानों के पीछे-पीछे रहेगी। पंधेर ने बताया कि अगर जत्थे पर हरियाणा की तरफ से आंसू गैस के गोले ड्रोन के जरिये फेंके जाते हैं, तो रेस्कयू टीम के सदस्य तुरंत गीली बोरी बगैरा इस पर फेंक कर धुएं से किसानों का बचाव करेंगे। मुंह पर बांधने के लिए गीले रूमालों को भी तैयार रखा जाएगा। किसानों के लिए पीने वाले पानी की व्यवस्था रहेगी। साथ में एंबुलेंस भी रहेगी, जिससे किसी भी किसान के घायल होने पर तुरंत उसे चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराने को अस्पताल ले जाया जा सके।