आपदा में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा होती है कम
संयुक्त राष्ट्र महिला शांति एवं मानवीय कोष के अनुसार जब सूखा या बेमौसम बारिश कृषि उत्पादन को खतरे में डालती है तो भोजन की कमी के समय में महिलाएं अक्सर अपने पतियों और बच्चों को अधिक प्राथमिकता देती हैं। उनकी पोषण संबंधी जरूरतें उनकी जरूरतों से पहले पूरी की जाती हैं।
जलवायु परिवर्तन का घरेलू जल, भोजन और ईंधन की सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। सूखे और अनियमित वर्षा के समय महिलाओं और लड़कियों को अधिक दूर तक चलना पड़ता है। औसतन, प्राकृतिक आपदाओं में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की मृत्यु अधिक होती है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा कम होती है। आपदा जितनी अधिक गंभीर होगी, जीवन प्रत्याशा में लिंग अंतर पर प्रभाव उतना ही अधिक होगा। यह तमाम ऐसे कारण हैं जो महिलाओं को समय से पहले उम्रदराज बना देते हैं।
कम उम्र में विवाह भी बड़ी वजह
चरम मौसम की घटनाओं की वजह से आजीविका बर्बाद हो जाती है और निर्धनता विकराल रूप धारण कर लेती है। इन हालात में परिवार भोजन की किल्लत के कारण अक्सर युवा बेटियों की जल्द शादी कराने का विकल्प चुनते हैं। चाहे यह जिस वजह से भी हो कम उम्र में शादियों में वृद्धि उन देशों में दिखाई दी हैं जो जलवायु आपदाओं से प्रभावित हुए हैं। इनमें मलावी, भारत, फिलिपींस, इण्डोनेशिया और मोजाम्बिक जैसे कई अन्य देश हैं। कम उम्र में विवाह की वजह से भी लड़कियां समय से पहले बुढ़ापे की ओर बढ़ने लगते हैं।