मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई में पंजाब सरकार राज्य में बागवानी क्षेत्र के विस्तार और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। बागवानी मंत्री श्री मोहिंदर भगत की अगुवाई में बागवानी विभाग किसानों को फसली विविधता अपनाने के लिए पूरी सहायता प्रदान कर रहा है, और 2024 में विभाग ने बागवानी के विकास के लिए कई पहलें की हैं।
मंत्री श्री भगत ने ग्रामीण सशक्तिकरण और कृषि नवाचार के लिए सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को उजागर किया। उन्होंने बताया कि पंजाब ने कृषि के विकास के लिए कृषि आधारभूत संरचना फंड (ए.आई.एफ.) के तहत 19,408 परियोजनाओं और 4,478 करोड़ रुपए के ऋण को मंजूरी देकर देशभर में पहला स्थान प्राप्त किया है।
मंत्री श्री भगत ने आगे बताया कि पंजाब सरकार द्वारा फसली विविधता पर जोर देने के कारण बागवानी क्षेत्र में रकबा 4,39,210 हेक्टेयर से बढ़कर 4,81,616 हेक्टेयर हो गया है।
मंत्री ने बताया कि राज्य को 2024 के स्कॉच राष्ट्रीय पुरस्कार में मान्यता प्राप्त हुई है, जिसमें पंजाब ने रेशम की खेती परियोजना, महिला सशक्तिकरण और रेशम की खेती के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए रजत पदक जीता है।
उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब ने उप-पहाड़ी जिलों पठानकोट, गुरदासपुर और होशियारपुर से इंग्लैंड (यू.के.) को लीची का निर्यात करके एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। बागवानी विभाग द्वारा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (ए.पी.ई.डी.ए.) के सहयोग से प्राप्त यह शानदार उपलब्धि, वैश्विक स्तर पर बागवानी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राज्य के प्रयासों को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि 3,250 हेक्टेयर में फैली लीची की खेती और लगभग 13,000 मीट्रिक टन वार्षिक उत्पादन किसानों की आमदन को बढ़ाएगा और भविष्य में निर्यात से नए रास्ते खुलेंगे।
मंत्री श्री भगत ने आगे बताया कि किसानों की मदद करने और कृषि में सुधार के लिए पंजाब में तीन नए बागवानी एस्टेट स्थापित किए गए हैं। इन नए एस्टेटों में अमृतसर में पीयर एस्टेट, पटियाला में ग्वावा एस्टेट और पठानकोट में लीची एस्टेट शामिल हैं।
मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत किसानों को विभिन्न कार्यों के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है, जिसमें नए बाग लगाना, सब्जियां और फूल उगाना, मशरूम की खेती, मधुमक्खी पालन, सुरक्षित कृषि विधियों को अपनाना और फसल कटाई के बाद में प्रबंधन करना शामिल है।
उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न जिलों में सब्जियों और फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए गए हैं। इनमें करतारपुर, जालंधर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल्स; बीड़ चाडिक, मोगा में हाई-टेक वेजिटेबल सीड सेंटर; खनौरा, होशियारपुर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर फ्रूट्स (नींबू); धोघड़ी, जालंधर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर पोटैटो और संगरूर जिले के गांव खेड़ी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर अनियन शामिल हैं।
मंत्री ने रेशम की खेती में शानदार प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि कोकून की कीमत 550 रुपए से बढ़कर 1,250 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है। यह वृद्धि किसानों, विशेषकर महिलाओं के लिए, जो इस क्षेत्र में 60 प्रतिशत से अधिक योगदान देती हैं, बेहतर आय सुनिश्चित करती है।
बुनियादी ढांचे के विकास के बारे में मंत्री श्री भगत ने बताया कि कोकून का वार्षिक उत्पादन 29,000 किलोग्राम तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आत्मनिर्भरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए किसानों को मामूली कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले रेशम के बीज मुहैया कराने के लिए डलहौज़ी में रेशम बीज उत्पादन केंद्र को फिर से सक्रिय कर दिया है।
मंत्री भगत ने चंडीगढ़ में आयोजित सिल्क मार्क एक्सपो 2024 के उद्घाटन को भी उजागर किया, जिसमें रेशम के हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया गया, जिससे रेशम व्यापार को बढ़ावा मिला। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल क्षेत्रीय कारीगरों और व्यापारियों को प्रेरित करते हैं, बल्कि रेशम की खेती और बागवानी के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को ऊपर उठाने में पंजाब की अहम भूमिका को भी दर्शाते हैं।
मंत्री श्री भगत ने रेशम के क्षेत्र में सुनहरे भविष्य के लिए पंजाब सिल्क ब्रांड स्थापित करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सिल्क रीलिंग यूनिट स्थापित करने की योजनाओं की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार रेशम की खेती का विस्तार करने, ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और पंजाब के बागवानी और रेशम की खेती को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए तेजी से काम कर रही है।
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