Saturday, January 18, 2025
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पंजाब पुलिस ने भारतीय संविधान की धारा 21 पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया

पंजाब पुलिस ने सोमवार को भारतीय संविधान की धारा 21 के उपबंधों की बारीकियों पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की, जिसमें विभिन्न माननीय अदालतों, विशेष रूप से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों में इस धारा के दायरे पर चर्चा की गई। यह धारा जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है, जो भारतीय संविधान का अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा है।

नेशनल जुडिशियल एकेडमी के पूर्व निदेशक और एक प्रख्यात विधि विशेषज्ञ डॉ. बलराम गुप्ता ने अपने मुख्य भाषण के दौरान 1951 के ऐतिहासिक ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य मामले से लेकर 2017 के जस्टिस के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) और एन आर बनाम भारतीय संघ मामले तक के संदर्भों के माध्यम से धारा 21 के दायरे के विस्तार पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।

ज़िक्रयोग्य है कि डॉ. बलराम के. गुप्ता एक प्रतिष्ठित विधि विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने 55 वर्षों से अधिक समय तक इस क्षेत्र में सेवा दी है। उन्होंने 1968 में आईसीपीएस, नई दिल्ली में संसदीय फैलो के रूप में अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। वे पंजाब विश्वविद्यालय में विधि विभाग के प्रोफेसर और चेयरमैन, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में विधि संकाय के मानद डीन और नेशनल जुडिशियल एकेडमी, भोपाल के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। डॉ. गुप्ता को 2016 में रोटरी इंटरनेशनल से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी प्राप्त हुआ है।

डॉ. गुप्ता ने डीजीपी पंजाब गौरव यादव और विशेष डीजीपी मानव संसाधन विकास (एचआरडी) और कल्याण,ईश्वर सिंह के साथ कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को संबोधित किया। विशेष डीजीपी सामुदायिक मामलों के विभाग गुरप्रीत कौर देओ, विशेष डीजीपी नीति और नियम एस.के. अस्थाना, विशेष डीजीपी रेलवे शशि प्रभा द्विवेदी भी इस कार्यशाला में उपस्थित थे।

डॉ. गुप्ता के भाषण ने पुलिसिंग के संदर्भ में मौलिक अधिकारों को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह उपबंध लोगों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के मामले में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि पुलिस को संविधान में उल्लिखित अधिकारों को बनाए रखने और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों में संवैधानिक कर्तव्यों को निभाना चाहिए।

डॉ. गुप्ता ने विचारशील और प्रेरणादायक चर्चा में भाग लिया, जिसने इस सत्र को और भी लाभकारी और प्रभावशाली बना दिया।

डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि पंजाब पुलिस इस तरह की कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन जारी रखेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे अधिकारी अपने कर्तव्यों को निष्पक्षता और सावधानी से निभाने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस रहें।

इस अवसर पर एडीजीपी (तकनीकी सहायता सेवाएं) राम सिंह, एडीजीपी (एनआरआई) प्रवीण कुमार सिन्हा, एडीजीपी (ट्रैफिक) ए.एस. राय, एडीजीपी (साइबर क्राइम) वी. नीरजा, डायरेक्टर (पीपीए) फिल्लौर अनीता पुंज, एडीजीपी (प्रोविजनिंग) जी नागेश्वर राव, डायरेक्टर (पंजाब बीओआई) एल.के. यादव, एडीजीपी आईवीसी नौनिहाल सिंह, एडीजीपी इंटेलिजेंस आर.के. जैसवाल, एडीजीपी कानून और व्यवस्था एस.पी.एस. परमार, एडीजीपी (आंतरिक सुरक्षा) शिव कुमार वर्मा, आईजीपी (मुख्यालय) डॉ. सुखचैन सिंह गिल, आईजीपी (रेलवे) बलजोत सिंह, आईजीपी बाबू लाल मीणा, डीआईजी नीलांबरी जगदले, डीआईजी अलका मीणा, डीआईजी जे. एलेनचेजीयन और डीआईजी सुखवंत सिंह गिल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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