यह पहल सिर्फ एक सौंदर्यीकरण परियोजना नहीं, बल्कि नई दिल्ली क्षेत्र में प्रवेश को विशिष्ट और ऐतिहासिक रूप देने का भी प्रयास है। इसके तहत एनडीएमसी की अन्य प्रवेश बिंदुओं पर भी घंटाघर बनाने की संभावना है, ताकि नई दिल्ली क्षेत्र में प्रवेश करने वाले लोगों को यह संकेत मिले कि वे एक विशेष प्रशासनिक व ऐतिहासिक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।
आधुनिक डिजाइन व पारंपरिक कला का संयोजन : शंकर रोड और मंदिर मार्ग के जंक्शन पर बनने वाले घंटाघर आधुनिक डिजाइन और पारंपरिक स्थापत्य कला का संयोजन होंगे। एनडीएमसी इन्हें न केवल एक समय संकेतक के रूप में स्थापित करेगी, बल्कि इसे एक टूरिस्ट आकर्षण और सांस्कृतिक स्थल के रूप में भी विकसित करने की योजना बना रही है। घंटाघर के आसपास की सड़कें और पैदल मार्ग को भी सुव्यवस्थित किया जाएगा, ताकि यह स्थान दिल्लीवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बने।
हेरिटेज सिटी का रूप दिया जाएगा
एनडीएमसी न केवल घंटाघर स्थापित कर रही है, बल्कि उसने चौक, चौराहों और प्रमुख सड़कों पर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण मूर्तियां भी स्थापित करने की शुरुआत की है। इस पहल के तहत कई स्थानों पर महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों और ऐतिहासिक प्रतीकों की मूर्तियां लगाई जा चुकी हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य नई दिल्ली को स्मार्ट सिटी के साथ-साथ हेरिटेज सिटी का रूप देना है। एनडीएमसी चाहती है कि नई दिल्ली न केवल आधुनिकता का प्रतीक बने, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित रखे। घंटाघरों और मूर्तियों के माध्यम से शहर को एक नया सौंदर्यबोध देने का प्रयास है, जिससे यह पर्यटन के लिहाज से भी और अधिक आकर्षक बन सके।
किसी भी शहर की पहचान और विरासत का हिस्सा
घंटाघर किसी भी शहर की पहचान और विरासत का हिस्सा होते हैं। दिल्ली में भी कई ऐतिहासिक घंटाघर स्थापित किए गए थे, जिनमें चांदनी चौक, शक्ति नगर सब्जी मंडी, हरी नगर और कमला मार्केट जैसे स्थान प्रमुख हैं। चांदनी चौक स्थित घंटाघर अब टूट चुका है, लेकिन अन्य स्थानों पर ये अब भी मौजूद हैं। पुराने समय में जब मोबाइल या डिजिटल घड़ियां उपलब्ध नहीं थीं, तो ये घंटाघर लोगों को समय की जानकारी देने के साथ-साथ स्थानीय प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी काम करते थे। वहीं, ब्रिटिश काल में घंटाघरों का निर्माण एक सुनियोजित शहरी विकास का हिस्सा था। चांदनी चौक का घंटाघर, जिसे 1950 के दशक में तोड़ दिया गया, कभी शहर की धड़कन हुआ करता था। इसी तरह सब्जी मंडी का घंटाघर व्यापारियों और स्थानीय निवासियों के लिए समय की पाबंदी का प्रतीक बना रहा।