साउथ अफ्रीका में भारत के टेस्ट सीरीज जीतने का सपना, फिर एक बार टूट गया। टीम इंडिया को पहले टेस्ट में पारी और 32 रन से हार का सामना करना पड़ा। साउथ अफ्रीका में इतनी बड़ी हार भारत को 31 साल के इतिहास में कभी नहीं मिली। टीम इंडिया अब दूसरा टेस्ट जीतकर भी सीरीज नहीं जीत पाएगी, क्योंकि तब सीरीज का नतीजा 1-1 से ड्रॉ ही रहेगा।
पहले टेस्ट में शर्मनाक हार की वजह खराब गेंदबाजी, खराब बैटिंग और इन सब से खराब कप्तानी रही। खैर साउथ अफ्रीका में भारत का कोई भी कप्तान कहां ही अच्छा प्रदर्शन कर सका है। इस देश में भारत ने अब तक 24 टेस्ट खेले, 13 गंवाए और महज 4 जीते। इस दौरान 7 टेस्ट ड्रॉ भी रहे। सीरीज तो भारत ने 9वीं बार खेल ली लेकिन जीत एक बार भी नसीब नहीं हुई।
3 ही दिन में हार गए सीरीज जीतने की उम्मीद
सेंचुरियन में 26 दिसंबर को भारत और साउथ अफ्रीका के बीच पहला टेस्ट शुरू हुआ। भारत ने पहले बैटिंग की, विकेटकीपर केएल राहुल के शतक के सहारे टीम ने 245 रन बनाए। बाकी बैटर्स में विराट कोहली और श्रेयस अय्यर के अलावा कोई कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सका।
साउथ अफ्रीका ने पहली पारी में 408 रन बना दिए। डीन एल्गर ने 185 रन की पारी खेली। वहीं डेविड बेडिंघम ने 56 और मार्को यानसन ने 84 रन बना दिए। भारत से जसप्रीत बुमराह के अलावा बाकी 3 तेज गेंदबाजों की अनुभवहीनता और रोहित शर्मा की खराब कप्तानी साफ नजर आई।
पहली पारी में ही 163 रन से पिछड़ चुकी टीम इंडिया दूसरी पारी में 131 रन ही बना सकी। विराट कोहली ने 76 और शुभमन गिल ने 26 रन बनाए। बाकी 9 बैटर्स 10 रन का आंकड़ा भी नहीं छू सके।
कप्तान रोहित की अनुभवहीनता हार की सबसे बड़ी वजह
रोहित की कप्तानी के बारे में तो क्या ही कहें, 9 टेस्ट के अनुभव के साथ वह साउथ अफ्रीका में उतर गए। विदेश में अपने चौथे ही टेस्ट में कप्तानी कर रहे रोहित को समझ ही नहीं आया कि तेज गेंदबाजों की मददगार पिच पर अपने 4 पेसर्स को किस तरह इस्तेमाल करना है।
कप्तानी का मौका तो रोहित को कम ही मिला क्योंकि भारत एक ही बार फील्डिंग कर सका। साउथ अफ्रीका के एक ही पारी के रन भारत की दोनों पारियों पर भारी पड़ गए। लेकिन रोहित की बैटिंग तो कप्तानी से भी ज्यादा खराब रही। वह 2 पारियां मिलाकर भी 5 ही रन बना सके, इनमें एक डक भी शामिल है।
खराब बैटिंग और कप्तानी का अंजाम ये हुआ कि भारत 3 दिन में ही टेस्ट हार गया। हार भी छोटी-मोटी नहीं, साउथ अफ्रीका के मैदान पर टीम की सबसे बड़ी और सबसे शर्मनाक हार।
खैर, इसमें रोहित का भी क्या ही दोष निकाले। उन्हें तो टेस्ट टीम में जगह पक्की करने के लिए 8 साल लग गए। 2021 के दौरान इंग्लैंड में अच्छे प्रदर्शन के दम पर वह टीम में जगह बना सके। लेकिन 2022 में कोहली के कप्तानी छोड़ने के बाद उन्हें कप्तान बना दिया गया। जिस खिलाड़ी को सबसे चैलेंजिंग फॉर्मेट को समझने में 8 साल लग गए, वो एक साल में टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी को कितना ही समझ पाता।
चलिए कोई बात नहीं, भारत के अलग-अलग कप्तान पिछले 31 साल में जो काम नहीं कर पाए, वो भारत के अनुभवहीन टेस्ट कप्तान रोहित शर्मा साउथ अफ्रीका की सबसे कमजोर कही जाने वाली टीम के सामने कहां ही कर पाते। करोड़ों भारतीय फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि टीम अपनी गलतियों से सीख लेगी और 3 जनवरी से शुरू हो रहे दूसरे टेस्ट को जीतकर अपनी लाज बचा लेगी।
टीम इंडिया बगैर सीरीज जीते ही भारत लौटेगी
टीम इंडिया हर देश में टेस्ट सीरीज जीत चुकी है, बस साउथ अफ्रीका ही बाकी था। लेकिन पहले टेस्ट में हार के साथ ये भी कन्फर्म हो गया कि ये सपना इस दौरे पर पूरा नहीं हो पाएगा। क्योंकि दूसरे टेस्ट में जीत के बाद भी सीरीज 1-1 से ड्रॉ ही होगी, भारत को सीरीज जीत की खुशी नहीं मिलेगी। इस बार भारत और साउथ अफ्रीका के बीच 2 ही टेस्ट मैचों की सीरीज खेली जा रही है।
साउथ अफ्रीका में सीरीज ड्रॉ तो टीम इंडिया ने पहले भी कराई थी। लेकिन असली चैलेंज और सपना तो सीरीज जीतने का था, जो साल 2023 खत्म होने से पहले ही टूट गया। साउथ अफ्रीका में भारत ने इससे पहले 8 सीरीज खेलीं, 7 में टीम को हार मिली। जबकि 2010 में एक सीरीज ड्रॉ रही।
आइए 3 फेज में जानते हैं कि साउथ अफ्रीका में टेस्ट सीरीज के दौरान अलग-अलग कप्तानों के साथ भारत का प्रदर्शन कैसा रहा?
फेज-1: 1992 से 2009 तक 4 सीरीज खेलीं, चारों गंवाईं
13 नवंबर 1992 को भारत ने साउथ अफ्रीका में पहली बार कोई टेस्ट खेला। मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में 4 टेस्ट की सीरीज में भारत को 1-0 से हार मिली। 3 मुकाबले ड्रॉ रहे। 1996 में टीम सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में उतरी, 3 टेस्ट की सीरीज भारत ने 2-1 से गंवाई। 2001 में भारत सौरव गांगुली की कप्तानी में उतरा, लेकिन नतीजा फिर वही, 2 टेस्ट की सीरीज टीम ने 1-0 से गंवा दी।
9 सालों में भारत ने 9 टेस्ट खेले और एक में भी जीत नसीब नहीं हुई। टीम ने 4 टेस्ट गंवाए, जबकि 5 मुकाबले ड्रॉ रहे। फिर राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारत ने 2006 में 3 टेस्ट की सीरीज खेली। एस श्रीसंथ की धारदार बॉलिंग से 8 विकेट के दम पर भारत ने पहला टेस्ट जीता, लेकिन बाकी 2 टेस्ट हारकर टीम ने सीरीज गंवा दी। यानी 1992 से 17 साल तक भारत ने 12 टेस्ट खेले, महज एक में टीम को जीत मिली और टीम ने चारों सीरीज गंवा दीं।
फेज-2: 2010 से 2014 तक; 4 में से एक टेस्ट जीता, एक सीरीज ड्रॉ
2009 तक महेंद्र सिंह धोनी तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया की कमान संभाल चुके थे। उनके सामने 2010 में साउथ अफ्रीका दौरे के रूप में बड़ी परीक्षा आई। पहले ही टेस्ट में भारत 136 रन पर ऑलआउट हो गया। सचिन ने दूसरी पारी में अपने करियर का 50वां टेस्ट शतक लगाया, लेकिन टीम पारी और 25 रन से हार गई। दूसरे टेस्ट में भारत ने कमबैक किया और 87 रन से करीबी मुकाबला जीत लिया। तीसरा टेस्ट ड्रॉ रहा और भारत को साउथ अफ्रीका में पहली बार सीरीज हार नहीं झेलनी पड़ी, सीरीज 1-1 से ड्रॉ रही।
2013 में टीम इंडिया फिर धोनी की कप्तानी में ही टेस्ट सीरीज खेलने पहुंची। 2 टेस्ट की सीरीज के पहले मुकाबले में भारत ने 458 रन का टारगेट दे दिया। लगा कि टीम जीत जाएगी, लेकिन साउथ अफ्रीका ने 5वें दिन 7 विकेट पर 450 रन बना लिए और मुकाबला ड्रॉ हो गया। कोहली ने 119 और 96 रन की पारियां खेलीं। दूसरे टेस्ट में भारत को 10 विकेट से शर्मनाक हार मिली और टीम ने 1-0 से टेस्ट सीरीज गंवा दी।
फेज-3: 2015 से 2022 तक; 6 में से 2 टेस्ट जीते, सीरीज जीत के करीब पहुंचे
2014 में विराट कोहली ने टीम इंडिया की कमान संभाली, जो आगे चलकर भारत के बेस्ट टेस्ट कप्तान साबित हुए। उनकी कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड में सीरीज ड्रॉ कराई, ऑस्ट्रेलिया में 2 टेस्ट सीरीज जीती और एशिया में एक भी सीरीज नहीं गंवाई, लेकिन कोहली भी भारत को साउथ अफ्रीका में टेस्ट सीरीज नहीं जिता सके। हालांकि, उनकी कप्तानी में ही टीम सीरीज जीतने के सबसे करीब पहुंच सकी।
2018 में कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया पहली बार साउथ अफ्रीका पहुंची। टीम ने वनडे सीरीज 5-1 और टी-20 सीरीज 2-1 के अंतर से जीत ली, लेकिन टेस्ट सीरीज में टीम को 1-2 के अंतर से हार मिली। भारत ने शुरुआती 2 टेस्ट 72 और 135 रन के अंतर से गंवाए, दोनों ही बार टीम जीत के करीब पहुंची, लेकिन हार का सामना करना पड़ गया। आखिरी टेस्ट भारत ने 63 रन से जीता
2021-22 में टीम फिर कोहली की कप्तानी में साउथ अफ्रीका पहुंची। दौरे से पहले कोहली ने टी-20 कप्तानी छोड़ दी और BCCI ने उन्हें वनडे कप्तानी से हटा दिया। इन सब के बावजूद टेस्ट सीरीज का पहला मैच भारत ने 113 रन से जीत लिया। दूसरे में कोहली इंजर्ड हो गए और केएल राहुल ने कप्तानी की। भारत को 7 विकेट से हार मिली। तीसरे टेस्ट में कोहली लौटे, लेकिन भारत को 7 विकेट से ही हार मिली और टीम ने 1-0 की बढ़त लेने के बावजूद 2-1 से सीरीज गंवा दी।
1932 में भारत ने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया तो टीम बेहद कमजोर थी। हर देश में टीम को हार मिलती थी, लेकिन 1983 का वर्ल्ड कप जीतने के बाद दुनिया ने भारत को पहचाना। इस साल के बाद भारत ने विदेश में भी टेस्ट सीरीज जीतने का सिलसिला शुरू कर दिया। टीम ने इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और एशिया के सभी देशों में टेस्ट सीरीज जीत ली। भारत को ऑस्ट्रेलिया तक में 2 बार
- श्रीलंका में भारत ने 8 सीरीज खेलीं। 3 गंवाईं और 2 ड्रॉ खेलीं। 3 में टीम को जीत भी मिलीं, भारत यहां 2008 से टेस्ट सीरीज नहीं हारा है। 1993 में पहली सीरीज जीत भारत को मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में मिली थी।
- पाकिस्तान में भारत ने 7 सीरीज खेलीं। 3 गंवाईं और 3 ही ड्रॉ रहीं। एक में ही टीम को जीत मिली, ये सीरीज 2004 में खेली गई। तब राहुल द्रविड़ की कप्तानी में टीम ने 3 टेस्ट की सीरीज 2-1 से जीती थी।
- जिम्बाब्वे में भारत ने 4 सीरीज खेलीं। एक जीती और एक गंवाई, इस दौरान 2 सीरीज ड्रॉ भी रहीं। टीम को एकमात्र सीरीज जीत 2005 में सौरव गांगुली की कप्तानी में मिली।
- बांग्लादेश में भारत ने 6 सीरीज खेलीं। 5 जीती और एक ही ड्रॉ रही। टीम यहां कभी नहीं हारी। साल 2000 में पहली सीरीज टीम ने सौरव गांगुली की कप्तानी में जीती थी।
मिल चुकी है, लेकिन टीम साउथ अफ्रीका में आज तक सीरीज नहीं जीत सकी।
- ऑस्ट्रेलिया में भारत ने 13 सीरीज खेलीं। 8 गंवाईं और 3 ड्रॉ खेलीं। टीम ने 2018 और 2021 में यहां 2 सीरीज जीतीं। इस दौरान विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे भारत के कप्तान रहे।
- इंग्लैंड में भारत ने 19 सीरीज खेलीं। 14 गंवाईं और 2 ड्रॉ रहीं। टीम ने 1971, 1986 और 2007 में सीरीज जीतीं। पिछली सीरीज जीत में राहुल द्रविड़ भारत के कप्तान रहे।
- न्यूजीलैंड में भारत ने 11 सीरीज खेलीं। 7 गंवाईं और 2 ड्रॉ रहीं। 1968 और 2009 में भारत को जीत मिली। इस दौरान मंसूर अली खां पटौदी और गौतम गंभीर टीम के कप्तान रहे।
- वेस्टइंडीज में भारत ने 13 सीरीज खेलीं। 7 गंवाईं और 6 जीतीं। टीम 2006 से यहां लगातार 5 सीरीज जीत चुकी है। भारत को यहां पहली जीत 1971 में अजित वाडेकर की कप्तानी में मिली थी।